Jamshedpur (Nagendra) । मजदूर नेता शैलेन्द्र मैथी ने श्रम आयोग के गठन करने की मांग को लेकर सीएम हेमंत सोरेन को पत्र प्रेषित कर कहा है कि केंद्रीय संयुक्त महासचिव झारखण्ड श्रमिक संघ (सम्बद्ध) झामुमो होने के नाते आपको मैं श्रमिक से जुड़ी समस्याओं के अनुभव आधार पर निम्नलिखित सुझाव देते हुए श्रम आयोग के गठन का मांग करते हैं । श्री मैथी ने श्रमिकों की समस्याओं का पत्र में उल्लेख करते हुए कहा है कि आज के दौर में बड़ी बड़ी कंपनियों द्वारा स्थायी कार्यों को असंगठित मजदूरो द्वारा कार्य करवाया जा रहा है और वेतन के नाम पर न्यूनतम मजदूरी के साथ उसने जुड़ी सुविधाओ को उनके कल्याण हेतु कुछ नहीं किया जा रहा है । उन्हें बोनस, आई० ओ० डी०, आई० ओ० डब्लू, छुट्टी के साथ साथ केंद्र सरकार की कई योजना जो श्रमिक हित में दी जाती है जैसे भविष्य निधि, कर्मचारी राज्य बिमा योजना, इत्यादि का भी भुगतान नहीं किया जाता है एवं उक्त कार्यों मे भरी भरकम घोटाला किया जा रहा है और श्रमायुक्त से शिकायत से भी उन्हें उनका जायज हक नहीं दिया जाता है , यह कहते हुए कि इंस्पेक्टर राज्य का खात्मा हो चूका है । अतः हम कुछ भी करने में असमर्थ है। झारखण्ड शॉप्स एंड इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के खात्मे के वजह से दुकानदारों द्वारा दूकान प्रतिष्ठान मे कार्यरत मजदूरो को उसका हक नहीं मिल पा रहा है। शैलेन्द्र मैथी ने कहा कि झारखण्ड अलग राज्य का गठन दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी की पारदर्शिता, संघर्ष एवं अनगिनत शहीदों का खून एवं कुर्बानियों से गत 15 नवंबर, 2000 में वीर शहीद बिरसा मुण्डा जी की जन्म तिथि पर हुआ, लेकिन झारखण्ड राज्य पर कब्जा साम्प्रदायिक ताकत एवं उपनिवेशक के ईशारे पर चलते आ रही है, जिसके फलस्वरूप झारखण्ड राज्य में उद्योग, खदान, खनिजों की लूट के साथ-साथ मजदूर शोषण चरम सीमा पर पहुँच गया है। राज्य की दशा एवं किसान तथा तमाम वर्गों के मजदूरों की दशा दयनीय हो गयी है। विशेषकर असंगठित मजदूर अभाव में जीने को मजबूर है। एक ओर केन्द्र में भाजपा शासित नीति के कारण आजादी के समय बने मजदूर कानूनों को संशोधन करके उद्योग एवं पूंजीपतियों को मालामाल करने में विवश है वहीं दूसरी ओर जात-पात-धर्म के नाम पर आम गरीब भोले-भाले जनता को दिग्भ्रमित किया जा रहा है। साथ ही गैर भाजपा शासित राज्य में तोड़-मरोड़ कर अपनी सरकार बना रहा है। बड़े-बड़े उद्योगपतियों को केन्द्र सरकार द्वारा गैर कानूनी ढंग से कारोबार करने में सहयोग दिया जा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा श्रम कानून में आदेश पारित किया गया है कि उद्योग में अथवा कोई खदान में स्थायी प्रकृति के कार्य में अथवा अस्थायी प्रकार के असंगठित मजदूर कार्यरत हैं उसे समान काम का समान वेतन नियोजक प्रबंधक को देना होगा , लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। राज्य के बड़े-बड़े उद्योगपतियों ने मिलकर साजिश के तहत संबंधित विभाग के इंस्पेक्टर द्वारा जाँच करने के प्रावधानों को श्रम कानूनों में संशोधन कर इंस्पेक्टर राज्य को समाप्त कर दिया गया। यही कारण है कि धड़ल्ले से बड़े-बड़े उद्योगों में खदानों में उद्योगपति एवं ठेकेदार के द्वारा असंगठित गरीब भोले-भाले मजदूरों का शोषण कर रहे हैं और वहीं दूसरी और कोयला खदान, यूरेनियम, कॉपर, आयरन तमाम खनिजों को ठेकेदार द्वारा खासकर दूसरे भाजपा शाषित राज्यों के जनता को आपूर्ति करवा रहा है और झारखंड में कार्यरत श्रमिकों को मासिक वेतन व अन्य श्रम सुविधाएँ नहीं मिल पा रहा है। उक्त संचालित कारखानों में दो प्रकार का न्यूनतम दैनिक वेतन दिया जा रहा है। जैसे कंपनी के स्थायी मजदूर जिन्हें प्रधान नियोजन के प्रबंधक नियुक्त करता है उन्हें संस्था के प्रधान नियोजक प्रबंधक के द्वारा सरकार द्वारा अधिसूचित Wage Board Steel/Automobile एवं अन्य कोई विभाग के स्थाई प्रकार के कार्य पर श्रेणीवार वेतन निर्धारित है । लेकिन असंगठित मजदूरों को सरकार के द्वारा अधिसूचित न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के नियमावली के अनुसार श्रेणीवार दैनिक व मासिक वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है। अनेकों प्रकार की विसंगतियाँ व्याप्त हैं। बड़े-बड़े कंपनियों में उत्पादनरत संस्थानों पर असंगठित मजदूर से, अकुशल मजदूर से उत्पादन काम करवाया जाता है। उन्हें उत्पादन का शेयर लाभ, बोनस नहीं मिलता है। यह कैसा कानून है ? जबकि उत्पादन कार्य में स्थायी एवं अस्थायी दोनों की भागीदारी समान रहती है तब तो प्रोफिट का शेयर समान होना न्यायसंगत है, लेकिन ऐसा नहीं है। इसलिए श्रमिकों के हित में श्रमिक आयोग का गठन करना बहुत ही जरूरी है। मजदूरों को न्यूनतम वेतन, ई० एस० आई० व पी० एफ० जैसी देय श्रम सुविधाओं से वंचित रखने सहित किसी भी समय कार्यरत मजदूरों को बिना कारण बताये बाहर निकालने व छटनी करने की खुली छूट मिल गयी है। इससे मजदूर भयभीत और आतंकित हैं, क्योंकि ऐसे ही बेरोजगार गरीब मजदूर भुखमरी के कगार पर आ खड़े हैं। एक ओर बड़ी-बड़ी कंपनियों में स्थायी मजदूरों की संख्या जहाँ मात्र 25 प्रतिशत है वहीं असंगठित व ठेका के नाम पर 75 प्रतिशत मजदूर से काम कराया जा रहा है ताकि शोषण व दमन करने में कंपनी प्रबंधक नियोजक को सहूलियत हो। स्वास्थ्य बीमा (ईएसआईसी) एवं कर्मचारी भविष्य निधि योजना (ईपीएफ) में भारी भ्रष्टाचार व घोटाला कर मजदूरों का हक व अधिकार को लूटने का काम किया जा रहा हैं। झारखण्ड में विकास के लिए यहाँ की जनता ने झारखण्डियों की जल, जंगल और जमीन को देने में कोई रूकावट नहीं की है। क्योंकि हमारी सरकार भी चाहती है कि राज्य की चहुंमुखी विकास हो और प्राकृतिक खनिज संपदा से समृद्ध झारखण्ड भारत के नक्शे में एक चमचमाता सितारा की तरह चमकता रहे। दिशोम गुरु शिबु सोरेन, झामुमो का भी यही संकल्प है। इस संकल्प को साकार करने में आपके सहयोग की कामना करते हैं और शीघ्र ही राज्य में श्रमिक आयोग गठन की मांग करते हैं।
No comments:
Post a Comment