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Bhopal. पंजाब में कुत्तों के आतंक से जनता परेशान, People are troubled due to terror of dogs in Punjab


Upgrade Jharkhand News. पंजाब में आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है जो जनता की परेशानी का सबसे बड़ा कारण बन रही है। रोजाना आवारा कुत्ते लोगों को काट रहे हैं । प्रदेश भर में रोज गली-गली मोहल्ले-मोहल्ले में घूम रहे कुत्तों के झुंड रोजाना लोगों को काट रहे हैं, इसी के कारण खासकर छोटे बच्चों में ही नहीं बड़ों में भी कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार  अस्पतालों  में रोज  रेबीज टीका लगवाने के लिए लोग पहुंच रहे हैं। शहरों के अतिरिक्त गांवों में भी कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है । फिरोजपुर के सीनियर मेडिकल अफसर का कहना है कि हमारे पास आवारा कुत्तों के काटने के इलाज के लिए रेबीज इंजेक्शन भारी मात्रा में हैं ,लेकिन पिछले 5 वर्ष से कुत्तों की नसबंदी नहीं की गई ,जिसके कारण कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है।  



सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 2025 के पहले तीन महीनों  में अकेले फिरोजपुर में ही  85 लोगों  को कुत्तों ने काटा है। उधर नगर पालिका ने पिछले दो दशक से कुत्तों को पकडऩे का कोई अभियान नहीं चलाया, ना ही कुत्तों के लिए शेल्टर हाउस बनाए गए हैं। प्रतिदिन कहीं ना कहीं कुत्तों का हमला होता है । लोगों के पास हमलावर कुत्तों से निपटने के लिए कोई आसान रास्ता दिखाई नहीं देता।  कुत्तों के नियंत्रण के लिए प्रभावी प्रणाली नहीं होने से कुत्तों के काटने का खतरा लगातार बढ़ रहा है। पशु विशेषज्ञों का कहना है कि दिसम्बर से अप्रैल तक जगह जगह गली मोहल्ले में छोटे-छोटे कुत्ते के बच्चे देखने को मिलते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है की सबसे ज्यादा मौतें कुत्तों के काटने के कारण भारत में होती है। यह खतरा कम होने की बजाय लगातार बढ़ता जा रहा है ।  कुत्तों के बढ़ते कहर की चुनौतियों पर गहरी नजर रखने वाली संस्थाओं का कहना है कि यदि यह समस्या इसी ढंग से बढ़ती गई तो नजदीक भविष्य में कुत्तों और इंसानों के बीच संघर्ष बढऩे का भी खतरा पैदा हो सकता है।  कुत्ते के काटने पर चार इंजेक्शन लगवाने जरूरी होते हैं ,यदि कुत्ता प्यार से भी चाटता है तो भी सावधान रहिए, यदि पालतू कुत्ते में रेबीज का इंफेक्शन है तो शरीर में भी रेबीज के वायरस आने की संभावना बनी रहती है। कुत्ते के काटने के बाद स्किन पर उसके दांतों के निशान दिखे तो सावधानी बरतना जरूरी है। कुत्ते के काटने की अनदेखी कभी-कभी घातक हो सकती है। रेबीज का वायरस एक बार शरीर में जाकर सालों तक रह सकता है। कई बार कुत्ता हाथ पैर या फिर चेहरे पर काटता है, हाथ पैर पर काटने से भी गहरा निशान बन जाता है यह भी काफी खतरनाक है।



 डॉक्टरों का कहना है कि कुत्ते के काटने से 24 घंटे के भीतर रेबीज का इंजेक्शन जरूरी है। 15 दिनों के भीतर चार इंजेक्शन लगवाने होते हैं। प्राइवेट हॉस्पिटल में वैक्सीन का 1400 से 1500 खर्च आता है जबकि सरकारी अस्पताल में रेबीज के इंजेक्शन मुफ्त में मिलते हैं। डॉक्टर एकांत आनंद का कहना है कि रेबीज एक वायरस है ,अगर यह किसी जानवर में हो जाए और वह जानवर हमें काट ले खासकर बिल्ली,कुत्ता, बंदर और कभी कभी इंसान भी,तो यह वायरस मानव के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को फेल कर देता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति सामान्य नहीं रहता, कभी-कभी तो उसकी मौत हो सकती है। आवारा कुत्तों की समस्या देश में कितनी भयानक हो चुकी है कि इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है  कि केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कुत्तों के काटने से होने वाली रेबीज बीमारी से दुनिया में होने वाली कुल मौतों में 1/3 प्रतिशत भारत में होती है। अकेले फिरोजपुर शहर छावनी में ही कुत्तों की संख्या 3000 से ज्यादा हो चुकी है ।  कुत्तों की नसबंदी के लिए कई बार बाहर से टीके मंगवाए जा चुके है। शहर में कुत्तों को रखने के लिए कोई भी शेल्टर हाउस नहीं है। ऐसा लगता है कि  कुत्तों की समस्या पर काबू पाने के लिए जिला प्रशासन बेबस बना हुआ है और समस्या पहले से ज्यादा गंभीर होती जा रही है।



 आयोग सख्त, स्टरलाइजेशन का आदेश: सड़क के कुत्तों द्वारा छोटे बच्चों को काटने की बढ़ती घटनाओं को लेकर पंजाब राज्य बाल अधिकार आयोग ने गंभीर नोटिस लिया है, आयोग  के चेयरमैन ने पंजाब के स्थानीय निकाय और ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग के प्रशासनिक अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि राज्य के सभी शहरों में आवारा कुत्तों की गिनती करवाई जाए और जल्दी से जल्दी उनकी स्टरलाइजेशन कराई जाए, बच्चों पर कुत्तों द्वारा किए जा रहे हमले चिंता का विषय है, आयोग ने कहा है कि बच्चों को नोचने की घटनाएं लुधियाना ,जगराओं, माछीवाड़ा ,नाभा, जीरकपुर, मोहाली ,अमृतसर में हो चुकी है। चेयरमैन ने स्थानीय निकाय और ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग के अधिकारियों को पत्र जारी करके कहा है कि भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विकास विभाग द्वारा 4 अप्रैल 2025 तक एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स 2023 के अधीन आवारा कुत्तों की संख्या को कंट्रोल में लाएं।  सुभाष आनंद



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