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Bhopal. दृष्टिकोण -रोजगार के अवसर तलाशने का दौर, Approach - A phase of looking for employment opportunities


Upgrade Jharkhand News.   बढ़ती जनसंख्या प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन का माध्यम बनती है। सरकार चाहे जितनी भी नीतियां बना ले, किन्तु जब तक व्यक्ति स्वयं प्रयास नहीं करेगा, तब तक उसकी  आजीविका सुचारु रूप से नहीं चल सकती। व्यक्ति की समझ का विकास जितना प्रत्यक्ष अनुभव से होता है, उतना सुनी सुनाई बातों से नहीं हो सकता। देश की समृद्ध सांस्कृतिक परम्पराओं को समझने के लिए देशाटन महत्वपूर्ण उपाय है। प्रकृति प्रेमी देश के प्राकृतिक सौंदर्य को आँखों में भरने के लिए पर्वतीय स्थलों का चयन करते हैं और भक्ति भाव में डूबे श्रद्धालु धार्मिक स्थलों का। यही कारण है कि देश में प्राकृतिक स्थलों के साथ साथ धार्मिक स्थलों पर भी भ्रमण बढ़ गया है। अनेक नगर धार्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध हैं, जहाँ आय का मुख्य स्रोत ही श्रद्धालुओं का आवागमन है।  2025 में आयोजित महाकुंभ में विश्व भर से आए करोड़ों श्रद्धालुओं व पर्यटकों ने पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाई। विश्व के किसी भी आयोजन में करोड़ों श्रद्धालुओं की भागीदारी ने जहाँ भारत में धर्म के प्रति आस्था और विश्वास का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया, वहीं अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से पुलिस व प्रशासन ने जिस प्रकार आयोजन को सफल बनाया, वह अकल्पनीय था।



निसंदेह महाकुंभ ने विश्व भर को भारत की आध्यात्मिक चेतना तथा सामाजिक समरसता से सन्नद्ध संस्कृति से परिचित कराया तथा भारत की विश्व के प्रति कल्याणकारी दृष्टि का बोध भी कराया। डेढ़ माह तक तक संगम नगरी में हुए संत समागम ने देश विदेश के करोड़ों श्रद्धालुओं को महाकुंभ स्नान के प्रति आकर्षित किया। यह भारतीय दर्शन के प्रति आम आदमी के विश्वास का परिचायक रहा। एक अरसे बाद यह पहला अवसर था, कि जब आस्था के महाकुंभ में डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं ने अपनी यात्रा में अयोध्या के श्री राम मंदिर और वाराणसी के बाबा विश्वनाथ मंदिर के दर्शनों को भी सम्मिलित किया। महाकुंभ अवधि में अयोध्या और वाराणसी में श्रद्धालुओं ने मंदिर दर्शन के पिछले सभी कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए। भारत के विभिन्न राज्यों में बारह ज्योतिर्लिंग हैं, श्रद्धालु जिनकी यात्राएं वर्ष भर करते हैं। इसी प्रकार दक्षिणी प्रदेशों में प्रसिद्ध मंदिर एवं पर्यटन स्थल हैं। भारत जैसे देश में जहाँ बेरोजगारी की समस्या को बढ़ा चढ़ा कर प्रचारित किया जाता रहा है तथा स्वरोजगार को नकार कर केवल सरकारी रोजगार को ही प्राथमिकता दी जाती रही है। 



ऐसे में श्रद्धालुओं और पर्यटकों के माध्यम से धार्मिक नगरों में निसंदेह रोजगार के बड़े अवसर उपलब्ध हुए। कुंभ नगरी में अनेक युवाओं ने स्वरोजगार के माध्यम से कमाई के कीर्तिमान भी स्थापित किए, जिससे समाज में स्पष्ट संदेश गया कि यदि व्यक्ति को स्वयं की कार्य दक्षता पर विश्वास हो, तो वह स्वयं रोजगार सृजित कर सकता है तथा अन्य के लिए भी रोजगार के अवसर उपलब्ध करा सकता है। देश में धार्मिक आस्था के केंद्रों पर यदि श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, तो देश में बेरोजगारी की समस्या को एक हद तक दूर किया जा सकता है। कौन नहीं जानता कि विश्व में अनेक देश ऐसे हैं, जहाँ आय का मुख्य स्रोत ही पर्यटन है। भारत में भी प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर अनेक ऐसे स्थल हैं जो विश्व भर को अपनी ओर आकर्षित करते हैं तथा अनेक धार्मिक स्थल ऐसे हैं जो सम्पूर्ण विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में समर्थ हैं । ऐसे में यदि देश के धार्मिक और प्राकृतिक पर्यटन स्थलों में रोजगार के अधिक अवसर खोजे जाएँ तो निस्संदेह देश के लिए यह लाभकारी सिद्ध हो सकता है।  डॉ. सुधाकर आशावादी



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