Upgrade Jharkhand News. वर्तमान समय में माता पिता के दिए गए संस्कार फीके पड़ते जा रहे हैं । कारण- बॉलीवुड की फ़िल्में, घर बिगाड़ने वाले टीवी सीरियल, वेब सीरीज, यूट्यूब - जिसमें एक बहुत बड़ा गिरोह शामिल हो गया है जो हमारे सनातनी बच्चों को बिगाड़ने में लगा हुआ हैंl इनमें अनेक पाखंडी संत भी शामिल हैं। नादान बच्चे इनकी बातों को सही मान बैठते हैं। ये पाखंडी लोग उदहारण देकर समझायेंगे कि जब राम ने सीता को त्याग दिया तो तुम अपनी पत्नी को क्यों नहीं त्याग सकते हो अर्थात तलाक ले सकते हो। अब इन मूर्खों को कौन समझाये कि माता सीता तो गंगाजल की तरह पवित्र थी। मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने एक धोबी के कड़वे बोल सुनकर माता सीता के त्याग का फैसला कर लिया क्योंकि उन्होंने धोबी के विचारों को जनता का निर्णय माना और वो जनता के निर्णय के विरुद्ध नहीं जाना चाहते थे जिससे कोई यह नहीं कह सके कि सीता तो राजघराने की बहू है इसलिए उनको कोई फर्क नहीं पड़ता हमारे जैसे साधारण लोगों पर ही अंगुलियां उठाई जाती हैं। भगवान राम ने यह साबित कर दिया था कि हमारे राज्य में सब एक समान है । यहां पर राजा और प्रजा के लिये कोई अलग- अलग नियम नहीं हैं।
रामायण हमें जीना सिखाती है - परिवार में किस तरह से रहना चाहिए यह बातेँ हमें रामायण सिखाती है। रामायण में सभी रिश्तों की मर्यादायें तय की गई हैl रामायण हमें ही नहीं पूरे विश्व को जीना सिखाती हैl
बच्चों के पतन का कारण घटिया सिलेबस - जब तक पूरे देश में एक देश एक शिक्षा नीति एवं एक ही पाठ्यक्रम लागू नहीं होगा तब तक बच्चों को सही एवं चरित्र निर्माण करने वाली शिक्षा नहीं मिलेगी। सनातन विरोधी राज्य सरकारें अपने हिसाब से सिलेबस तय करती है। अकबर को महान बताया जाता है, सम्राट अशोक को नहीं । महाराणा प्रताप ,छत्रपति शिवाजी महाराज,छत्रपति सम्भा जी ,झाँसी की रानी, अहिल्या बाई, संत तुलसी दास, संत तुकाराम जैसे, अनगिनत महापुरुषों को पाठ्यक्रम में समुचित स्थान नहीं दिया गया। इनकी गौरवमयी जीवनी को पढ़े बिना बच्चों में चरित्र निर्माण कहां से होगा। यही नहीं पाठ्यक्रम में रामायण एवं श्रीमद्भागवत कथा के प्रसंगों को भी अवश्य शामिल किया जाना चाहिए।
धर्मनिरपेक्षता का चोला पहन कर कब तक हमारी गौरवशाली भारतीय संस्कृति को नष्ट-भ्रष्ट किया जाता रहेगा? अब समय आ गया है कि इस तरह का सिलेबस तैयार किया जाए जिससे बच्चों का चरित्र निर्माण हो। बच्चों के हाथ में स्मार्ट फोन हो या न हो लेकिन चरित्र निर्माण करने वाली पुस्तकें अवश्य होनी चाहिए। गीता प्रेस एवं अखिल भारतीय गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्री राम शर्मा द्वारा लिखित पुस्तकें एवं पत्रिकाएं बच्चों के लिए अमृत के समान हैं। इनको सही ज्ञान मिलेगा तो वे बॉलीवुड की बेसिरपैर की फ़िल्में, घर बिगाड़ने वाले टीवी सीरियल, अश्लील वेब सीरीज एवं यूट्यूब पर घटिया कंटेंट परोसने वाले पाखण्डी लोगों के चंगुल से बच सकेंगे। पूरन चंद्र शर्मा
No comments:
Post a Comment