- 11 चेकनाका बना कर 17 वनपथों पर वनकर्मी व पदाधिकारियाें को तैनात किया गया
Jamshedpur (Nagendra) । जनजातीय समुदाय द्वारा 5 मई को मनाए जाने वाले पारंपरिक विशु पर्व को के दौरान दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी में होने वाले सेंदरा (शिकार) की रोकथाम को लेकर जिला प्रशासन और वन विभाग ने चाक-चौबंद व्यवस्था की है। इस पर्व में पारंपरिक रूप से शिकार की परंपरा रही है, जिसे रोकने के लिए वन विभाग द्वारा कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।
पारंपरिक पर्व को सांकेतिक रूप से मनाने की अपील-दलमा के डीएफओ सबा आलम अंसारी ने सेंदरा समितियों के प्रतिनिधियों से अपील की कि वे विशु पर्व को सांकेतिक रूप में मनाएं और वन्य प्राणियों का शिकार न करें। उन्होंने बताया कि पर्व के दौरान वन्य जीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सर्वोपरि है। शिकार रोकने के लिए जमशेदपुर, सरायकेला और आदित्यपुर (सामाजिक वानिकी) वन प्रमंडलों के अधिकारी और कर्मचारी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इसमें 55 से अधिक वनकर्मी, भारतीय वन सेवा के 10 अधिकारी, राज्य वन सेवा के 2 अधिकारी शामिल हैं।
संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष इंतजाम-पटमदा, बोड़ाम, चांडिल, नीमडीह समेत संवेदनशील क्षेत्रों में चिकित्सा एवं पशु चिकित्सा पदाधिकारी तैनात किए गए हैं। पिन्ड्राबेड़ा स्थित दलमा टॉप वन विश्रामागार में 4 और 5 मई को सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे तक विशेष चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई है। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए संबंधित थाना प्रभारियों को अलर्ट किया गया है। इसके साथ ही संवेदनशील क्षेत्रों में दंडाधिकारी और सशस्त्र बलों की तैनाती का अनुरोध अनुमंडल पदाधिकारियों से किया गया है।
निगरानी के पुख्ता प्रबंध-शिकार पर नियंत्रण के लिए 11 चेकनाका, 17 वनपथों पर वनकर्मी और पदाधिकारी तैनात किए गए हैं। वन विभाग की यह पहल वन्यजीव संरक्षण के प्रति प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि अवैध शिकार करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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