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Bhopal स्वस्थ लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका The role of the opposition in a healthy democracy

 


Upgrade Jharkhand News. किसी भी लोकतान्त्रिक देश के लिए सक्रिय एवं मजबूत विपक्ष का होना आवश्यक होता है। यह एक स्वस्थ लोकतंत्र का उदाहरण है,परन्तु हमारे देश में विपक्षी पार्टियाँ पूरी दुनिया में सबसे अधिक नकारात्मक  भूमिका में दिखाई देती हैं। ये पार्टियाँ सत्तारूढ़ पार्टी का विरोध करते करते देश का विरोध करने से भी संकोच नहीं करतीं। उनके लिए सरकार के सभी क्रियाकलापों का विरोध करना एक मात्र उद्देश्य बन गया है। इस विरोध की नीति के चलते वे देश के हितों का ध्यान भी नहीं रख पाते सिर्फ सत्ता के लालच में इतने अंधे हो जाते हैं की उन्हें समझ नहीं आता उनका कोई वक्तव्य देश के और समाज के हित में है भी या नहीं। ये जनता को भ्रमित करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। जनता को भ्रमित करके वोट प्राप्त करने की चालें चलते हैं। आज की जनता  पढ़ी लिखी और जागरूक होने के कारण समस्त जानकारी रखती है। अतः जनता को मूर्ख समझने वाले स्वयं भ्रमित हो जाते हैं। 



कोई भी देशवासी या किसी पार्टी का नेता दूसरे देश में जाकर अपने देश का अपमान करता है,उसकी कमियां गिनाता है, तो उसे  देश का  हितैषी कैसे कहा जा सकता है? विपक्षी पार्टियों को सोचना होगा कि यदि देश उन्नति करेगा तो उनका भी भला होगा। यदि  देश में खुशहाली होगी तो उन्हें भी दुनिया में सम्मान मिलेगा। यदि देश की कानून व्यवस्था ख़राब होगी तो उसका प्रभाव भी देश के प्रत्येक नागरिक पर होगा। उसका भविष्य अंधकार में होगा। अतः प्रत्येक नेता को अपने स्वार्थ से पहले सुरक्षित देश के लिए प्रयास करना चाहिए। विपक्ष की भूमिका होनी चाहिये कि वह सत्तारूढ़ दल के कार्यों की समीक्षा करता रहे। यदि उसके कार्य कहीं भी देश और समाज के हितों के विरुद्ध जान पड़ते हैं, तो उसे जनता के समक्ष लाये और सत्ता पक्ष को  अपनी कार्य शैली में सुधार के लिए मजबूर करे। परन्तु हमारे देश का विपक्ष, सरकार के देश और समाज के हित में किये जा रहे कार्यों में भी अडंगा लगा कर उसका विरोध करने लगता है और जनता को भ्रमित करने का प्रयास करता है। अर्थात विपक्ष की कार्य शैली नकारात्मक हो गयी है,जो देश और समाज के लिए घातक है। सरकार के प्रत्येक अच्छे कार्य का विरोध करना देश और समाज के प्रति गद्दारी है। सही कदम को सही कहना सीखना होगा,तब ही देश का सही विकास और उन्नति हो सकती है। व्यक्ति किसी भी पार्टी का हो यदि कोई अच्छा कार्य करता है तो उसकी तारीफ भी करने में झिझक नहीं होनी चाहिए। इससे विपक्ष की भूमिका  भी सकारात्मक दिखाई देती है और जनता में एक अच्छा सन्देश जाता है।



यदि कोई पार्टी सत्ता प्राप्त करना चाहती है, तो उसे जनता को विश्वास दिलाना होगा, की वह पार्टी वर्तमान सरकार से कहीं अधिक जनहित में कार्य कर सकती है। उसके शासनकाल में जनता को अधिक सुविधाएँ मिल पाएंगी। संतोष जनक कानून व्यवस्था के चलते जनता अधिक सुख शांति से रह सकती है। देश को अधिक तेजी से आगे बढ़ाने का कार्य कर सकती है। न्याय व्यवस्था बेहतर होगी, भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकेगा। बेरोजगारी, महंगाई, बढती आबादी पर तेजी से अंकुश लग सकेगा। अपनी नीतियों का प्रदर्शन,अपनी किसी राज्य में सरकार बनाकर अपनी कथनी को, अपनी विचार श्रृंखला को सिद्ध कर सकती है। सिर्फ प्रधानमंत्री को या सत्तासीन दल को गालियां देकर जन समर्थन नहीं जुटाया जा सकता। सत्तारूढ़ दल से बेहतर कार्य करने की क्षमता सिद्ध करके  ही केंद्र या राज्यों में सत्ता प्राप्त कर सकते है। लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ माने जाने वाले मीडिया को अपना  रोल  सकारात्मक रखना होगा। उन्हें भी सिर्फ कवरेज और अपनी टीआरपी  बढाने की मानसिकता से परे हटकर कार्य करना होगा।  गुंडे मवाली या देश द्रोही नारे देने वाला नेताओं का इंटरव्यू टीवी पर दिखाने से भी जनता को भ्रमित किया जाता है,और अराजक तत्वों को बढ़ावा मिलता है, उनके हौसले बुलंद होते हैं। इससे परहेज किया जाना चाहिए। मीडिया को भी जनहित का ध्यान रखते हुए अपने माध्यम का प्रयोग करना चाहिए। सरकार के गलत कार्यों की जमकर आलोचना होनी ही चाहिए साथ ही सरकार के जनहित कारी कार्यों की सराहना भी करनी चाहिए ताकि जनता तक सही सन्देश पहुँच सके। सत्य शील अग्रवाल



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