इन स्थानों में नगरीय सुविधाएं, शिक्षा व चिकित्सीय सुविधाएं अत्यंत ही दयनीय है। इन स्थानों में कार्यरत अधिकारी शिक्षा व चिकित्सा की सुविधाओं को निर्बाध रूप से प्राप्त करने के लिए अपने परिवार और बच्चों को निकटवर्ती शहरों में रखने और अतिरिक्त वित्तीय खर्च उठाने के लिए बाध्य हैं। तीसरे पे-रिविजन कमेटी ने कठिन परिस्थितियों में कार्यरत अधिकारियों को पहले की तरह डासा प्रदान करने की अनुशंसा की है। परंतु इस्पात मंत्रालय के आदेश अनुसार सेल के अधिकारियों को प्राप्त डासा को रोक दिया गया है, जिससे कठिन परिस्थितियों में कार्यरत अधिकारियों में अत्यंत ही निराशा है। वर्तमान स्थिति यह है कि केवल अधिकारी डासा से वंचित हैं और गैर-कार्यपालक इस तथ्य के बावजूद इसका लाभ ले रहे हैं, जबकि दोनों (अधिकारी और गैर-अधिकारी) एक ही स्थान पर काम कर रहे हैं।
इस्पात मंत्रालय तथा सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीई), भरत सरकार के इस भेदभावपूर्ण निर्णय के कारण खदान अधिकारियों का मनोबल और प्रेरणा स्तर नीचे गिर रहा है। डासा किसी तरह इस अतिरिक्त वित्तीय प्रभाव की भरपाई कर रहा था, लेकिन अधिकारियों के लिए डासा को रोकना न केवल हतोत्साहित करने वाला निर्णय है, बल्कि प्राकृतिक न्याय और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के विरुद्ध भी है। अधिकारियों ने इस्पात मंत्रालय और सेल प्रबंधन से मांग किया है कि खदान में अधिकारियों के लिए डासा को जल्द लागू करें नहीं तो आंदोलन होते रहेगा। इस मौके पर झारखंड खान समूह ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र सचिव शशिकांत शर्मा, डॉक्टर बिपलब दास, डॉ एस सरकार, आलोक यादव, एसआर नायक, पंकज दास, अजय कुमार, डॉक्टर अमन कुमार, देवाशीष रजक, सीबी कुमार, एसएन पंडा, प्रदीप कुमार, के एस बेहरा, दीपक प्रकाश, ताराचंद, अविनाश प्रधान आदि दर्जनों लोग शामिल थे।
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