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सारंडा जंगल व नदी के पत्थर से पुलिया वह गार्डवाल का निर्माण कर रहे ठेकेदार, Contractors building culverts and guardwalls from Saranda forest and river stones



गुवा। सारंडा जंगल का दोहन ठेकेदार, वन विभाग से मिलकर कैसे कर रहे हैं, इसका बड़ा उदाहरण सारंडा जंगल स्थित हतनाबुरु क्षेत्र में देखने को मिल सकता है। उल्लेखनीय है कि सारंडा के दीघा पंचायत अन्तर्गत उसरूईया- पोंगा जंक्शन के बीच नदी पर पुलिया एवं गार्डवाल का निर्माण द्वारा कराया जा रहा है। निर्माण कार्य कराने वाले ठेकेदार अथवा कंपनी ने कार्य स्थल पर कार्य के प्राक्कलन राशि, कार्य करने वाली कंपनी, मजदूरों का मजदूरी दर, कार्य प्रारम्भ एवं समाप्ति की अवधि आदि से संबंधित कोई बोर्ड नहीं लगाया गया है।

जिस नदी पर पुलिया व गार्डवाल का निर्माण किया जा रहा है, उसमें इस्तेमाल किया जा रहा पत्थर नदी व जंगलों से लाकर लगाया जा रहा है। इससे राज्य सरकार को पत्थर के एवज में मिलने वाली राजस्व की भारी क्षति पहुंचाई जा रही है। इस क्षति के लिए ठेकेदार से अधिक वन विभाग के पदाधिकारी जिम्मेदार हैं। क्योंकि इससे वह सरकार के खजाने को हीं नुकसान पहुंचा रहे हैं।


इससे सारंडा जंगल की खनिज व वन संपदा का भी भारी दोहन हो रहा है। आस संस्था के संयोजक सुशील बारला ने कार्य स्थल का निरीक्षण किया एवं मामले को काफी गंभीर देख मुख्यमंत्री को ट्वीट कर उच्च स्तरीय जांच एवं दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने बताया की कार्य में लगे मजदूरों से पूछने पर वह ठेकेदार का नाम नहीं बता पाए। मजदूरों ने बताया की ठेकेदार हीं नदी व जंगल से पत्थर लाकर उस कार्य में लगाने को कहा है। 

हमें क्या पता कि यह अवैध कार्य है। बड़ा सवाल है कि वन विभाग अगर सारंडा में ईमानदारी पूर्वक कार्य कर रही है तो इतने बडे़ पैमाने पर कैसे भ्रष्टाचार हो रहा है। अगर वन विभाग जंगल में नहीं जा रही है तो सारंडा जंगल को आग और लकड़ी तस्करों से कैसे बचाया जा सकता है।


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