अतिथियों के कर कमलों से दीप प्रज्वलन व माँ भारती के चित्र के समक्ष पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कवयित्री निवेदिता श्रीवास्तव , वीणा पांडे भारती व रीना सिन्हा ने संयुक्त स्वर में मां भारती की वंदना की । तत्पश्चात अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कत्थक नृत्यांगना डॉ अनु सिन्हा ने गणेश वंदना पर लघु नृत्य नाटिका प्रस्तुत किया। अतिथियों को श्रीफल देकर और तिलक लगाकर उनका स्वागत और अभिनंदन किया गया। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् जमशेदपुर इकाई के द्वारा मुख्य अतिथि डॉक्टर मुदिता चंद्रा , मुख्य वक्ता डॉ अशोक सिंह, सुप्रसिद्ध नृत्यांगना डॉ अनु सिन्हा, मनोज सिंह , वंदे शंकर सिंह को अंग वस्त्र और प्रतीक चिन्ह देकर उनकी उपस्थिति के प्रति सम्मान प्रदर्शित किया गया ।
स्वागत भाषण देते हुए अध्यक्ष शैलेंद्र पांडे शैल ने अखिल भारतीय साहित्य परिषद की गतिविधियों और विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी और उपस्थित अतिथियों का अभिनंदन भी किया । विषय प्रवेश कराते हुए संगठन मंत्री डॉ अनीता शर्मा ने वर्ष प्रतिपदा के पौराणिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक महत्व और समर्थ युवा,समर्थ राष्ट्र विषय से उपस्थित श्रोताओं को अवगत कराया। अपना वक्तव्य देते हुए सूरज सिंह राजपूत ने कहा कि समर्थ युवा अर्थात समर्थ का तात्पर्य बल, पराक्रम तथा धन से नहीं वरन् चरित्र से है। एक चरित्रवान समाज ही समर्थ राष्ट्र का निर्माण कर सकता है।
अतिथि वक्ता मनोज कुमार सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि ज्ञान विज्ञान सबसे पहले हमारे देश में उद्घटित हुआ था। हमारा पंचाग नक्षत्र और तारामंडल पर आधारित है इसलिए अधिक प्रमाणित है।
अतिथि वक्ता बंदे शंकर सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि साहित्य की साधना भी एक प्रकार का राष्ट्र धर्म है, बस इसकी दिशा सकारात्मक होनी चाहिए।
संरक्षिका डॉ रागिनी भूषण ने अपने वक्तव्य में कहा कि साहित्य और विचारों की यह यात्रा अनवरत जारी रहे।
धन्यवाद ज्ञापन संस्था की सलाहकार और इस कार्यक्रम की संयोजिका अधिवक्ता ममता सिंह ने किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह , मामचंद्र अग्रवाल, संतोष कुमार चौबे ,जयंत श्रीवास्तव, सह सचिव सोनी सुगंधा, पूनम स्नेहिल, सूर्या चौबे,
ब्रजेन्द्र नाथ ,शशि ओझा, दीपक वर्मा, रूपम वर्मा, सुनीता बेदी, भोगेन्द्र नाथ झा, नवीन अग्रवाल,हरिकिशन चावला,सुधाकर ठाकुर,संजय पाठक
की गरिमामयी उपस्थिति रही।
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