पोटका। बड़ा ही दुख की बात यह है कि जो पराधीन भारत को आजाद कराया उसी का इतिहास में नाम नहीं है।मैं नेताजी सुभाषचंद्र चंद्र बोस के बारे में बोल रहा हूँ ।अंग्रेजों ने खुद कहा है,, हमलोग महात्मा गांधी की अहिंसा आंदोलन से डरते नही थे,हमलोगों ने तब डरे जब सुभाष ने आज़ाद हिंद फौज का गठन किया और हमे देश से भगाने का जिहाद छेड़ दिया ।नेताजी का आज़ाद हिंद फ़ौज में 60000 सैनिक था।अंग्रेज के साथ लड़ाई करते हुए 26000 सैनिक शहीद हुए थे।करीब 50000 अंग्रेजो को मारा था।
इसके अलावे 1943 के 21 अक्टूबर को नेताजी ने आजाद हिंद सरकार का गठन किया और आन्दामान और निकोवर द्वीप को आजाद करके आजादी का झंडा फ़यराया था।उस सरकार को विश्व के कुल 9 देशो ने मान्यता दी थी तब अंग्रेज का सिंघासन कांप उठी थी।वे लोग समझा अब हमें भारत छोड़ना ही पड़ेगा।तब अंग्रेज जाते समय कहा,, हमलोग गांधी के चलते नहीं बल्कि सुभाष के चलते देश छोड़कर जा रहा हूँ ।लेकिन यह सत्य को छिपाया गया और बापूजी और चाचाजी ने भारत को आजाद कराने की श्रेय ले ली।
नेताजी ने कहा था,,,आजादी भिक्षा मांगके नही मिलता है उसको छीन के लेना पड़ता है।नेताजी का त्याग और बलिदान को भारत के तथाकथित नेताओं ने स्वीकारा नहीं।केवल नेताजी ही नही बहुत सारे सुर वीरो ने देश के आजादी में स्वशत्र संग्राम किया था,लड़ाई करते करते शहीद हो गए थे लेकिन उनलोगों का भी नाम आजादी की लड़ाई में नही है बल्कि उनमे से बहुत देशभक्तओ को आतंकवादी और देशद्रोही भी कहा जाता है जो बहुत ही शर्म की बात है।
मैं यहाँ पर कुछ शहीदों का नाम लेना चाहेंगे जिन्होंने भारत की आजादी के लिए हँसते हँसते प्राण दिया था जैसे,,, खुदीराम बोस,प्रफुल्ल चाकी,विनय,बादल, दिनेश, मास्टर दा सुर्ज्य सेन,बाघा यतिन,कनाई लाल दत्त,प्रीतिलता, मातंगिनी हाज़रा,बारिन घोष,भकत सिंह, राजगुरु,शुकदेव, चंद्र शेखर आज़ाद,उधम सिंह,मंगल पांडेय,बिरसा मुंडा आदि अनेक नाम है।इसके अलावे रासबिहारी बोस,चित्तरंजन दास, अरविन्द बोस, भगिनी निवेदिता आदि का भी आजादी की लड़ाई में काफी योगदान रहा है जो भारत के इतिहास में आज भी उपेक्षित है। अतः वर्तमान देशभक्त प्रधानमंत्री से मैं प्रार्थना करता हूं कि नये सिरे से भारत की आजादी की लड़ाई की इतिहास लिखा जाय ताकि हमारे भावी पीढ़ियों को सही जानकारी मिल सके।जय हिंद।
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