इस दौरान 21 जुलाई को इससे प्रभावित ग्रामीणों द्वारा इसके विरोध में उपायुक्त कार्यालय के समक्ष एक दिवसीय सामूहिक सांकेतिक भूख हड़ताल करने का निर्णय लिया गया। इस मौके पर ग्राम प्रधान सह मांझी बाबा वीरधान मांझी ने बताया कि ग्रामीणों को बिना सूचना दिए या ग्राम सभा किए ही इस तरह के किए जा रहे कार्य को कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इस मौके पर उपस्थित आदिवासी मूलवासी भूमि रक्षा मोर्चा के अध्यक्ष सह मुख्य सलाहकार संग्राम मार्डी ने कहा कि सम्बंधित विभाग द्वारा किए जा रहे कार्य को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि विकास कार्य में ग्रामीण बाधक नहीं है, परंतु सौंदर्यीकरण करने के कारण जिन लोगों की रैयती भूमि का नुकसान हुआ है उन सभी की सूची बनाकर क्षतिपूर्ति राशि तय कर भुगतान किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि विगत वर्ष 8 जुलाई को इस संदर्भ में उपायुक्त के माध्यम से झारखंड सरकार को ज्ञापन सौंपा गया था। किन्तु, अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इस कारण ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। बैठक के बाद इस बाबत एक ज्ञापन
उपायुक्त और अनुमंडल पदाधिकारी को भी सौंपा गया। इस मौके पर भागवत बास्के, बाबू राम मांझी, कालीचरण हांसदा, विरधान मांझी, भरत हांसदा, शिवा मुर्मू समेत काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।

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