पोटका। आज आधुनिक युग है। नारी और पुरुष सब कोई आधुनिक हो रहे हैं। आधुनिक लेकिन मन से और विचार से नहीं, आधुनिक हो रहे है, खानपान,साज पोशाक और रहन सहन से।आधुनिकता के नाम पर लोग अपनी भाषा, संस्कृति, परंपरा और धर्म को भी छोड़ रहे है।खासकर आज के विवाहित महिला साड़ी नहीं पहनना चाहती,शंखा,सिन्दूर,बिंदिया,नहीं लगाना चाहती ।आधुनिकता के नाम पर अंग प्रदर्शन करना, छोटी कपड़ा पहना,दारू पीना,सिगरेट पीना,पर पुरुषों के साथ मस्ती करना को आधुनिक नारी का अर्थ समझती है।
माँ सारदा दैवी इस मायने में आधुनिक नारी नहीं थी। वह एक ग्रामीण महिला थी। रामकृष्ण परमहंस देव जी के गृह बधु थी। लाल कपड़ा पहनती थी। शाखा पहनती थी।सिन्दूर और बिंदिया लगाती थी। माथा खुली नहीं रखती थी। घुंघुट में रहती थी। वह एक ब्राह्मण नारी थी, लेकिन मन में कोई कुसंस्कार, अंधविश्वास, जात पात,छूत अछूत की भावना नही थी।न कोई विलासिता,न कोई स्वेच्छाचारिता थी।मन, पवित्रता,उदारता,करुणा,दया,प्रेम और सेवा भावना से भरी हुई थी।
जयरामवाटी में आमजद नाम के एक मुसलमान डाकू रहता था,जिसके नाम पर सब कोई डरता था, लेकिन वह आमजद माँ के दरवार में बीच बीच मे आता था, क्योंकि माँ उसको घृणा नहीं करती थी, बल्कि प्यार करती थी। एकदिन आमजद दोपहर के समय सारदा माँ के पास आया और माँ को प्रणाम करके उनकी हालचाल पूछा। माँ बोली,,,सब कुछ ठीक ठाक है। आज तुम ठाकुर जी का भोग खाकर जाना। यह कहते हुए माँ ने नलिनी दीदी को आमजद को ठाकुर जी का भोग खिलाने के लिए कही। नलिनी दीदी किन्तु परंतु कर रही थी, लेकिन माँ का आदेश, टाल भी नही सकती थी। नलिनी दीदी आमजद को खाने के लिए दूर दूर से उसको परिवेशन करने लगी कही आमजद को छू न दे।
माँ को यह दृश्य पसंद नहीं आया। माँ ने कही,,,लोगो को ऐसी तरह खिलाया जाता है क्या, खिलाना है तो प्यार से खिलाओ,,,यह कहते हुए माँ ने उससे खाना छीन कर स्वयं परिवेसन करने लगी । खाने के पश्चात जब झूटी पत्ता उठाने लगा तब माँ ने कही,,,नहीं बेटा, मै माँ हु न, माँ रहते हुए संतान क्यों पत्ता उठाएगा। आमजद माँ के मुह की ओर ताकने लगा और मन ही मन सोचा दुनिया में यैसा भी माँ होती है। आमजद चले जाने के पश्चात माँ स्वयं उनकी झूटी पत्ति को उठाई और अपने हाथों से उस जगह को साफ किया।
माँ का यह अस्वाभाविक आचरण देखकर नलिनी दीदी ने कही,,, माँ, तुम हिन्दू ब्राह्मण महिला होकर मुसलमान का झूठा साफ किया,तुमारा जात नहीं जायगी । समाज के लोग बदनाम नही करेगी। माँ ने हँसते हुए कही,,,उसका डर मेरा नहीं है। मैं एक माँ हु, माँ का कोई जात नही होता है। मैं सबकी जननी हु।शरत जैसा मेरा संतान है,आमजद भी उसी प्रकार संतान है।माँ की यह बात सुनकर नलिनी दीदी चुप हो गई। आज के आधुनिक महिला इस घटना को किस दृष्टि से देखेंगे।क्या माँ सारदा देवी आधुनिकता की पराकाष्ठा नहीं है। अतः आज के आधुनिक महिलाओं को माँ सारदा देवी की जीवनी से शिख लेना चाहिए आधुनिकता किसे कहते है।
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