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कोल्हान के बाबाधाम नाम से प्रख्यात गोइलकेरा के महादेवशाल मंदिर में श्रावणी मेला का उद्घाटन


चक्रधरपुर। कोल्हान के बाबाधाम नाम से प्रख्यात गोइलकेरा के महादेवशाल मंदिर में श्रावणी मेला का उद्घाटन रविवार को किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से मौजूद झारखंड की समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री जोबा माझी, पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, सिंहभूम की सांसद गीता कोड़ा ने संयुक्त रुप से फीता काटकर व नारियल फोड़कर श्रावणी मेला का शुभारंभ किय। मेला के उद्घाटन के दौरान मंत्री जोबा माझी ने कहा कि महादेवशाल धाम में वर्षों से पूजा अर्चना होती आ रही है।

यहां आस्था का जनसैलाब उमड़ता है। झारखंड के अलावे अन्य दूसरे राज्यों से श्रद्धालु सावन महीने में यहां जलाभिषेक व पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं। भगवान भोलेनाथ श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरा करते हैं। सावन का महीना झारखंड में खुशहाली लेकर आये. उद्घाटन के दौरान भगवान भोलेनाथ, बोलबम, हर-हर महादेव के जमकर जयकारे लगे। मौके पर गोइलकेरा के बीडीओ विवेक कुमार, थाना प्रभारी राहुल सिंह के अलावे मंदिर व मेला संचालन समिति के सभी सदस्य व स्थानीय लोग मौजूद थे।

श्रावणी मेला के उद्घाटन के बाद मंत्री जोबा माझी, पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, सांसद गीता कोड़ा ने मंदिर में जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की। जहां पूजा अर्चना कर क्षेत्र की सुख-समृद्धि की कामना की गई। मौके पर मंदिर के पुजारी ने विधिवत तरीके से पूजन कराया।


गोइलकेरा प्रखंड का महादेवशाल धाम पहाड़ों के बीच बसा है। सुन्दर मनोरम पहाड़ियों के किनारे स्थित महादेवशाल धाम में वैसे तो रोजाना श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं, लेकिन सावन महीने में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। यहां खंडित शिवलिंग की वर्षों से पूजा होते आ रही है। बताया जाता है कि अंग्रेजों के शासनकाल में जब बंगाल नागपुर रेल लाइन बिछाने का कार्य व सुरंग निर्माण का कार्य चल रहा था।

उसी दौरान एक मजदूर ने शिवलिंग रुपी पत्थर देखा। इस बीच मजदूरों ने उस स्थान पर खुदाई व काम करने से इंकार कर दिया। इसके बाद ब्रिटिश इंजीनियर रॉबर्ट हेनरी ने पत्थर को मजदूरों से हटाने को कहा, लेकिन मजदूरों ने सीधे तौर पर मना कर दिया। इसके बाद इंजीनियर रॉबर्ट हैनेरी ने स्वयं फावड़ा उठाकर पत्थर को हटाने की कोशिश करते हुये उस पर वार कर दिया। इससे शिवलिंग का एक हिस्सा टूट गया और इसी दौरान रॉबर्ट हैनेरी की भी मौत हो गई।


इसके बाद सुरंग का रास्ता बदलना पड़ा और उस स्थान पर मंदिर का निर्माण कर पूजा अर्चना प्रारंभ हो गया। यहां पूजा अर्चना के लिए झारखंड के विभिन्न हिस्सों के अलावे झारखंड से सटे ओडिशा, पश्चिमी बंगाल, छत्तीसगढ़ व अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां प्रत्येक वर्ष सावन महीने में मेले का भी आयोजन किया जाता रहा है। सावन महीने में महादेवशाल धाम में कई एक्सप्रेस ट्रेनों का भी ठहराव किया जाता है। इस वर्ष कुल नौ जोड़ी एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव यहां 31 अगस्त तक होगा।

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