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सनातन हिन्दू धर्म अनुरागी अपनी संस्कृति और धर्म को न छोड़े : सुनील कुमार दे

 


पोटका। हमारे सनातन हिन्दू धर्म का कोई प्रवर्तक नहीं है अर्थात कोई जन्मदाता नहीं है।यह आदि और सनातन है जो सबके लिए है ,जो सृष्टि से ही अस्तित्व में है।इस सनातन धर्म के ऊपर समय समय पर कितना अत्याचार हुआ है, उसको मिटाने का कितना प्रयास हुआ है लेकिन सनातन हिन्दू धर्म दुनिया में आज भी अचल,अटल और शक्तिशाली है।

मुगल, पठान 1400 साल तक हमारे देश में राज किया है, कितने हिन्दुओ को बल पूर्वक मुसलमान बनाया है,हज़ारो मंदिर को तोड़कर मस्ज़िद बनाया है लेकिन भारत से हिन्दू और हिन्दू धर्म को मिटा न सका है।200 साल तक अंग्रेजों ने भारत में राज किया।हमारे  कितने मंदिर तोड़े,प्रलोभन देकर हिन्दुओ को ईसाई बनाये लेकिन हिन्दू और हिन्दू धर्म को खत्म नहीं कर पाए क्योंकिं यह सनातन और सास्वत है।


दुःख की बात यह है कि आज बहुत सारे हिन्दू भाई ही अपनी हिन्दू संस्कृति को भूल रहे है, हिन्दू धर्म छोड़ रहे है, बहुत सारे हिन्दू भाई अपने हिन्दूधर्म को बदनाम करते है, निंदा करते है।यह सच है कि हमारे हिन्दू धर्म में कुछ अंधविश्वास, कुछ कुसंस्कार, वर्ण भेद और जातिभेद प्रथा था और अभी भी  कहीं कहीं है जो दूर होना चाहिए।

समय समय पर हमारे अनेक धर्म गुरुओं और महापुरुषो ने इसको दूर करने की कोशिश की है जैसे,,चैत्यन्त महाप्रभु,रामकृष्ण परमहंस देव,माँ सारदा देवी,स्वामी विवेकानंद,दयानंद,प्रणवानंद,निगमानंद आदि है।जो  भी थोड़ा खराबी अभी भी है वह दूर करना हम सभी का कर्तव्य और दायित्व है।केवल निंदा करने से काम नहीं चलेगा।

खुशी की बात यह है कि आज अमेरिका, इंग्लैंड, राशिया, जापान,ऑस्ट्रेलिया इंडोनेशिया, मारिसस,अफ्रीका आदि देश के बहुत सारे लोग सनातन हिन्दू धर्म और हिन्दू संस्कृति को ग्रहण कर रहे है।साड़ी, धोती पहनकर, चंदन टीका लगाकर हरेरामऔर हरेकृष्ण कर रहे है।किसी किसी देश में तो बच्चों को रामायण, महाभारत और गीता पढ़ाया जा रहे है।रामलीला का प्रदर्शन किया जा रहा है।यह गर्व की बात है।

  इसलिए भारत के सनातनी हिन्दू भाई और बहनों से मेरा निवेदन है कि आप अपनी भाषा, संस्कृति और धर्म पर गर्व करें और आस्था रखें।किसी भी अवस्था में उसको न छोड़े,न भूले।अपना परिचय और पहचान अपनी भाषा, संस्कृति और धर्म को लेकर है।इसलिए मम्मी,डेड संस्कृति को न अपनाये, पश्चिमी संस्कृति और सभ्यता का अंधा अनुकरण न करें,प्राण देकर भी अपना धर्म की रक्षा करें।

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