जमशेदपुर। हिन्दी के संरक्षण एवं संवर्धन को समर्पित अंतरराष्ट्रीय संस्था हिन्दी साहित्य भारती के झारखंड जिला इकाईयों सिंहभूम पूर्वी व पश्चिमी तथा सरायकेला खरसांवा. जमशेदपुर की ओर से प्रेमचंद जयंती पर काव्य गोष्ठी आयोजित की गई।
जिसमें.संस्था के सदस्यो एवं पदाधिकारियों ने काव्य पाठ कर कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद जी को श्रद्धाजलि अर्पित की.डा संगीता नाथ के द्वारा सरस्वती वंदना के उपरांत काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता डा अरूण कुमार सज्जन. एवं संचालन कवि सूरज सिंह राजपूत ने किया .काव्य गोष्ठी में देश.समाज. और राजनीतिक मुददों पर संवेदनशील रचनायें पढी गई।
.काव्य पाठ में मीडिया प्रभारी झारखंड इकाई की जमशेदपुर से पद्मा मिश्रा. ने सामयिक संदर्भ.में राम की प्ररसंगिकता पर अपनी रचना सुनाई * .आज वही सीता भटकती है.द्वार द्वार. लांछित अपमानित सी.कितनी है एकाकी. मौन मूक दर्शक से राम यहां क्यों चुप हैं।
डा मीनाक्षी कर्ण. की कविता लड़कियों के अधिकारों के प्रति एक चुनौती लगी.*लडाकू होती हैं लडकियां **वहीं वरिष्ठ कवकवयित्री सुधा गोयल ने अपनी रचना।
लाल जोड़े की चकाचौंध से मूक कर दो, कर लो बेटी रेपिस्ट से शादी कर लो।*सुनाकर स्तब्ध कर दिया.
.वरिषठ कवयित्री श्रीमती आनंद बाला शर्मा.-की प्रसतुति *अनमोल क्षण.
आज गुम हैं.वे सुनहरे पल
जो बिखरे थे.सतरंगी रंगों में
जैसे इन्द्रधनष*इस कविता ने प्रशंसा बटोरी
रेणुबाला मिश्रा.ने *प्रकृति-दोहन *तर अपनी रचना पढी.*घन-मृदंग था बज रहा
झर-झर 'झर-झर धारा थी,...सुधा अग्रवाल की रचना थी *संगीत का आठवां सुर*
.छाया प्रसाद, ने नारी जीवन की व्यथा कथा.पर अपनी रचना पढी -*मेरे हिस्से के धूप,खिड़की के कोने से अंदर आती धूप,
मेरे हिस्से की अगली कवयित्री पामेला दत्ता घोष.. *ऐ ज़िंदगी फिर से उस राह पर चल
जहां से गुजरी थी कभी हमारी सवारी
पुरुषोत्तम भोल तथा ममता कुमारी ने काव्य पाठ किया. इस अवसर पर जिला अध्यक्ष इंदिरा पाण्डेय. भी उपस्थित रहीं.अंत में अपने उद्बोधन में डा अरुण सज्जन तथा कवि राकेश कुमार ने सदस्य की सराहना करते हुए हिदी साहित्य भारती के उद्देश्यो पर एक आशान्वित दृष्टिकोण प्रस्तुत किया..कि संस्था अपने उद्देश्य में सफल रही है.
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