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विवाद भंजन श्रीरामकृष्ण : सुनीलकुमार दे, Controversy Bhajan Sri Ramakrishna: Sunilkumar De,


पोटका। उन्नीसवीं सदी को अगर हम नास्तिक वादी तथा भोगवादी युग कहे तो गलत नहीं होगा।एक तरफ क़ुछ लोग भगवान को नही मानते थे,भगवान के ऊपर बिश्वास खो चुके थे और भोगवादी जीबन जी रहे थे।दूसरे तरफ कुछ लोग भगवान को मानते थे लेकिन धर्मान्धता,धार्मिक कट्टरता, धार्मिक असहिष्णुता,के शिकार थे।लोग त्याग,सेवा, प्रेम,भक्ति को भूल चुके थे।इसी जटिल समय में अवतार के रूप में इस भारत भूमि में अवतीर्ण हुए भगवान रामकृष्ण परमहंसदेव।

पश्चिम बंगाल के हुगली जिला के अंतर्गत कामारपुकुर गांव में सन1836 के 17 फरवरी को माता चंद्रमणि के गोद में तथा पिता खुदीराम चट्टोपाध्याय के घर में जन्म लिया था रामकृष्ण परमहंसदेव।उनका बचपन का नाम था गदाधर चट्टोपाध्याय।गदाधर का मतलब भगवान विष्णु।कामारपुकुर में बाल लीला समापन करके कोलकाता में दक्खिनेश्वर गांव के रानी रासमोनी द्वारा प्रतिष्टित काली मंदिर की पुजारी बने।उन्होंने लोक शिक्षा देने के लिए भगवत साधना शुरू किया।दुनिया में भगवान है और साधना और तपस्या द्वारा उसको प्राप्त किया जा सकता है, दर्शन किया जा सकता है, इसका प्रमाण उन्होंने दिया मा कालि का साधना करके और उनको साच्छात दर्शन करके।केवल दर्शन ही नहीं मा काली के साथ उन्होंने बात भी करते थे,मा को खिलाते व पिलाते भी थे।गदाधर यही पर रोके नहीं, तंत्र साधिका भैरवी ब्राह्मणी से दीक्षा लेकर 64 प्रकार की तंत्र साधना करके सिद्धि प्राप्त की।

इसके अलावे हिन्दू धर्म के सभी मत और पथ में जाकर साधना की ओर सिद्धि लाभ की।उसके बाद तोतापुरी से दीक्षा लेकर निराकार ब्रह्म की साधना की और मात्र तीन दिनों में निर्बिकल्प समाधि लाभ की जो तोता को 40 बर्ष और महात्मा बुद्ध को 6 महीने लगी थी।तोता ने गदाधर को संन्यास दिया था और नाम दिया रामकृष्ण परमहंस।उनकी साधना यहीं पर खत्म नहीं हुआ।उन्होंने एकदिन गोविन्द राय नामक एक मौलबी से अल्लाह नाम की दीक्षा ली और इस्लाम साधना की।तीन दिनों तक उन्होंने मस्जिद में जाकर नमाज पड़ी और अल्लाह की अनुभूति की।उसके बाद रामकृष्ण देव जी ने यदु मल्लिक नामक ईशाई के बागान बाड़ी में प्रभु यीशु का दर्शन किया।इसी प्रकार आज तक भगवान को लोग जिस रूप में, जिस नाम में दर्शन किया है, प्राप्त किया है 12 बर्ष तक कठोर साधना करके रामकृष्ण देव जी ने दर्शन किया और उपलब्धि किया।

अंत में कहा,,,,ईश्वर एक है, नाम और रूप अनेक है।उनको प्राप्त करने का तथा उनके पास जाने का मत अनेक है, पथ भी अनेक है आप किसी भी पथ और मत में जाकर साधना द्वारा प्राप्त कर सकते है।जितना मत है उतना ही पथ है।इसलिए धर्म और ईश्वर को लेकर विवाद मत करो,झगड़ा मत करो। ठाकुर जी ने भगवान के प्रति विस्वास को जगाया।गृही संन्यासी का विवाद मिटाया।हिन्दू मुस्लिम ,ईशाई का विवाद मिटाया।साकार और निराकार का विवाद मिटाया।मत और पथ का विवाद मिटाया।मंदिर,मस्जिद,और गिरजा का विवाद को दूर किया।नास्तिक बाद,धार्मिक कट्टरता, को दूर किया।कामिनी कांचन पर आशक्ति को दूर किया।

त्याग और सेवा का पाठ पढ़ाया।हर जीव में शिव है एक नया मंत्र दिया।दुनिया में जितने प्रकार का विवाद था सब दूर किया इसलिए श्रीरामकृष्ण विवाद भंजन ठाकुर है।उनकी जीवनी और वाणी को आत्मस्वात करके हम एक नई पृथ्वी बना सकते है।सभी प्रकार का विवाद को दूर कर सकते है।जय रामकृष्ण।

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