जमशेदपुर। नगर की वरिष्ठ महिला साहित्यकारों की संस्था फुरसत ने आनलाइन तुलसी जयंती मनाई। कार्यक्रम का संयोजन और संचालन कवयित्री कथाकार पद्मा मिश्र ने किया। अपनी रचना के साथ उन्होंने आयोजन की शुरुआत की। हे राम तुम्हारे शुभ्र भाल पर आज तिलक मैं करती हूं। राम सर्वव्यापी हैं शाश्वत हैं भारत की संस्कृति राम के बिना संभव नहीं। अगली रचना कवयित्री वीणा पाण्डेय की थी। सियाराम सदा मेरी रचना कहे भक्ति का फूल आंगन में खिलता रहे। संस्था की अध्यक्ष श्रीमती आनंद बाला शर्मा ने कहा कि भाग छोट अभिलाष बड .करऊं एक विश्वास..पावहिं सुख सुनी सजन ..खल करिहहिं उपहास।
इस अवसर पर छाया प्रसाद ने सुंदर कांड के स्वरचित भोजपुरी अनुवाद में रचना पढी.जामवंत के वचन सुन के ..खुश भइले हनुमान मन से। कवयित्री उमा सिंह किसलय गुजरात से शामिल हुई और सवरचित तुलसी के दोहों का पाठ किया राम गढे तुलसी छवि। राम गढे सब कार्य. रामनाथ की धुन किसलय देता जीवन को मार्ग।
डा मनीला कुमारी ने तुलसी को नमन करते हुए कहा -तुलसीदास ने तत्कालीन समाज के बारे मे जो कहा उस समय धर्म के नाम पर पाखंड फैल रहा। जिसके उन्मूलन के मानस की रचना की...पुणे से वरिष्ठ कवयित्री किरण सिन्हा कहती हैं --प्रेम त्याग बलिदान की अमर गाथा है रामचरित मानस.....सुष्मिता सलिलात्मजा ने अपनी प्रस्तुति दी।अयोध्या था जिनका धाम मर्यादा पुरुषोत्तम थे श्रीराम....संस्था के सभी सदस्यों ने डा सरित किशोरी श्रीवास्तव, अनीता निधि, सरिता सिंह, माधुरी मिश्रा, रेणुबाला मिश्र की उपस्थिति में आयोजन को सफल बनाया।
No comments:
Post a Comment