शैवों और वैष्णवों में पारस्परिक ईर्ष्या बढ़ती जा रही थी, और उनके समय में अनेक धार्मिक मत एवं दार्शनिक विचारधारा प्रचलित थे। जिनमें परस्पर विरोध व्याप्त था। परंतु तुलसीदास ने इन विरोधों को बहुत अंशों में दूर कर अपनी साम्यवादी दृष्टि का परिचय दिया और अपना एक निश्चित दार्शनिक मत स्थापित किया। जो प्रमुख रूप से रामचरितमानस में उपलब्ध होता है। कार्यक्रम में आगे नमिता महतो दीदी ने गोस्वामी जी के जीवन परिचय से भैया बहनों को अवगत कराया। गोस्वामी तुलसीदास जयंती पर विद्यालय में कक्षा अरुण से दशम तक राखी बनाना, चित्रांकन, सुलेख एवं निबंध की प्रतियोगिता रखी गई।
जिसमें सभी भैया बहनों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस दौरान जमशेदपुर विभाग निरीक्षक तुलसी प्रसाद ठाकुर एवं विद्यालय कार्यकारिणी प्रबंध समिति की कोषाध्यक्ष मालती लागुरी की उपस्थिति में प्रतियोगिता का शुभारंभ हुआ। सभी प्रतिभागियों के क्रियाकलापों की जमशेदपुर विभाग प्रमुख एवं विद्यालय समिति की कोषाध्यक्ष ने सराहना की और भविष्य में इसी तरह के प्रतियोगिताओं में प्रतिभागिता करने को प्रेरित किया।
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