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ओत गुरू कोल लाको बोदरा का 104वाॅ जयंती मनाई गई, दी गई श्रद्धाजंली

 


सांस्कृतिक कायर्क्रम में सम्मानित हुए समाज के कलाकार व मुण्डा ,मानकी एवं समाजसेवी

 चक्रधरपुर। पश्चिम सिंहभूम जिला के बंदगांव प्रखंड के नकटी पंचायत भवन परिसर में शुक्रवार को आदिवासी हो समाज युवा महासभा एवं बारंग क्षिति लिपि के विद्याथिर्यों ने कोल लाको बोदरा का 104वाॅ जयंती धूमधाम एवं उत्साह पूवर्क मनाया.इस कायर्क्रम में मुख्य अतिथि विधायक प्रतिनिधि मिथुन गागराई तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में पीपुल्स वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव ड़ॉ विजय सिंह गागराई, जीप सदस्य बसंती पूर्ति,मुखिया कुश पूर्ति,सावित्री मेलगांडी, लक्ष्मी गागराई, सुखमती जोंको उपस्थित थे. 


कायर्क्रम का शुभारंभ दियुरी मांगता हांसदा के नेतृत्व में सामुहिक उपवास रह कर पूजा अचर्ना एवं कोलगुरू लाको बोदरा के तस्वीर पर माल्यापर्ण कर किया गया. वहीं समिति के लोगों ने मुख्य अतिथि मिथुन गागराई, समाजसेवी ड़ॉ विजय सिंह गागराई, मुखिया एवं मानकी, मुण्डा तथा समाज के कलाकार को समजिक परपंरा के तहत पगडी पहनाकर व गुलदस्ता भेट कर सम्मानित किया .  मौके पर विधायक प्रतिनिधि सह मुखिया मिथुन गागराई ने कायर्क्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कोल गुरू लाको बोदरा हो भाषा वांरागक्षीति लिपी के जनक थे. 


इन्ही  के कारण ही आज आदिवासीयों की भाषा और लिपी है. वतर्मान सरकार भी भाषा को प्राथमिकता दे रही है.उन्होंने लोको बोदरा की जीवनी पर प्रकाश डालते हुये कहा की हमें उनके बताये मार्ग पर चलने की जरूरत है. उन्होंने कहा भाषा संस्कृति को बचाने के लिए सभी को एकजुट होने की जरूरत है.ड़ॉ विजय सिंह गागराई ने कहा कि लोगो की पहचान अपनी भाषा व सांसकृति से होती है.

हमें अपनी भाषा एवं संस्कृति को बचाये रखने की जरूरत है.उन्होंने कहा हमें अपनी भाषा को जीवित रखने के लिए बोलचाल एवं सभी कार्यक्रम स्थानीय भाषा मे ही करनी है.बसंती पूर्ति ने कहा आदिवासी बहुल गांव के विद्यालयों में हो भाषा की पढ़ाई होनी चाहिए. जिससे हमारी भाषा बचा रह सके.उन्होंने कहा सभी लोगों को अपनी भाषा पर गर्व होनी चाहिए. इस मौके पर सांस्कृतिक कायर्क्रम का आयोजन किया गया. जिसमें समाज के कलाकारों, छात्र छात्राओं द्वारा सामुहिक नृत्य, एकल गीत, सामुहिक गीत आदी प्रस्तुत किया गया.संस्कृति कार्यक्रम देर शाम तक चला. 

कायर्क्रम का संचालन बुद्वदेव गागराई व मांगता गागराई ने किया. मौके पर मुख्य रूप से झारखंड आंदोलनकारी श्याम गागराई, बुद्वदेव गागराइ, मांगता गागराई, बाहाराम हेम्ब्रम , राम बोदरा ,बीरसिंह सिजुई ,दीयूरी गागराई,गोंडो पूर्ति,डेबिड गागराई,सलूका गागराई,मजूरा गागराई ,बेहरा गागराई,कृष्णा गागराई,सोगल गागराई, संजय गागराई, सलूका गागराई समेत काफी संख्या में समाज के सैकड़ों लोग मौजुद थे.

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