हाता। आज के हाय हेलो और मम्मी डैडी युग में गुरु शिष्य परंपरा मृत्यु के कगार पर है। गुरु और शिष्य के बीच पिता पुत्र, पिता पुत्री संबंध, प्रणाम नमस्कार, स्नेह प्रेम पवित्रता, श्रद्धा,भक्ति आदि खत्म हो चुके हैं। बच्चे आज पैर छू कर गुरु को प्रणाम नहीं करते हैं। हाथ मिलाते हैं, गुड मॉर्निंग, गुड एवीनिंग बोलते है।
मास्टर मसय और गुरुजी के जगह सर् बोलते हैं। सचमुच आज शिक्षा संस्कार बिहीन हो गया है।आज देश में मनुष्य बनाने की शिक्षा नहीं है। केवल डॉक्टर इंजीनियर नेता, मंत्री बनाने और रुपये कमाने की शिक्षा दी जा रही है। इसलिए आज बच्चे अपने माँ बाप को बृद्धाश्रम में भेज रहा हैं और माँ बाप को बोझ समझ रहे हैं।
आज शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर सभी शिक्षकों से मेरा विनम्र निवेदन है की बच्चे का कैरियर बनाने के साथ साथ करेक्टर बनाने की भी शिक्षा दें. ताकि बच्चे देश का एक अच्छा नागरिक और एक अच्छा इंसान बन सके। बच्चे को अंग्रेजी सिखाइये, लेकिन अंग्रेज मत बनाइये। एक सच्चा भारतीय बनाइये।
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