विमोचन के पश्चात मासिक साहित्य गोष्टी का आयोजन
पोटका। झारखंड साहित्य संस्कृति परिषद के द्वारा बहुवासी साहित्यिक पत्रिका झारखंड प्रभा के 16वां अंक का विमोचन झारखंड के वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर मित्रेश्वर अग्निहोत्री, प्रोफेसर सुबोध कुमार सिंह, डॉ जया मित्र, निश्चय संस्था के संस्थापक तरुण कुमार, जुगाड़ संस्था के संस्थापक जन्मेजय सरदार, पूर्व जिला परिषद करुणामय मंडल आदि के द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत प्रोफेसर मित्रेश्वर अग्निहोत्री एवं प्रोफेसर सुबोध कुमार सिंह के दीप प्रज्वलन से हुआ स्वागत गीत कमल कांति घोष एवं स्वागत भाषण परिषद के सचिव शंकर चंद्र गोप ने दिया । मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए वरिष्ठ साहित्यकार सह प्रोफेसर मित्रेश्वर अग्निहोत्री ने कहा सभ्यता संस्कृति को अमर बनाने में कहानियों का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है।
उन सभ्यताओं को हम भूल जाते है, जो अपनी कहानियों को लिपिबद्ध नहीं करती। हम मानव के रूप में धरती पर आए है, तो लिखना अभिव्यक्त करना हमारी सबसे बड़ी ताकत है, अगर हम यह नहीं करते, मतलब हम अपने सबसे बड़ी ताकत का उपयोग नहीं करते। उपरोक्त वक्तव्य घाटशिला कॉलेज के प्रो मित्रेश्वर ने झारखंड साहित्य संस्कृति परिषद के द्वारा प्रकाशित बहुभाषीय साहित्यिक पत्रिका झारखंड प्रभा के 16वे अंक के विमोचन समारोह सह साहित्य गोष्ठी में कही। कार्यक्रम का आयोजन हाता स्थित माताजी आश्रम में किया गया।
विमोचन सह साहित्यिक गोष्ठी में समाज के अनगिनत गणमान्य व्यक्तित्वो ने शिकरत की। इस अवसर पर एक कवि गोष्ठी हुई जिसमें करुणामय मंडल, सुनील कुमार दे, शंकर चंद्र गोप, अमल कुमार दास, विकाश कुमार भकत, जय हरि सिंह मुंडा, दिनेश सरदार ने भाग लिया।
कार्यक्रम का संचालन पत्रिका के संपादक सुनील कुमार डे ने की। वहीं अध्यक्षीय भाषण रघुनंदन बनर्जी ने दिया।धन्यवाद ज्ञापन राजकुमार साहू ने दिया। कार्यक्रम में डॉ जया मित्रा, उज्ज्वल कुमार मंडल, कमल कांति घोष,सुजाता मरल, लोचना मंडल, दुलाल चंद्र दास, बीथिका मंडल, कृष्ण पद मंडल, आशीष मंडल, मोनी पाल, डॉक्टर राजीव लोचन महतो, महितोष मंडल, तपन मंडल, स्वपन मंडल, मिथुन साहू, विश्वामित्र खंडायत, बलराम गोप, सुधांशु शेखर मिश्र, नित्यानंद गोस्वामी, निवारण मोदी, तड़ित मंडल, सुबोध मंडल, आनंद साहू, सुदीप मुखर्जी, पीयूष गोस्वामी, तरुण दे, हेम चंद्र पात्र, पतित पावन दास, फुलमोनी मुर्मू, मुखिया देवी भूमिज आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
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