जमशेदपुर। लोकआस्था का महापर्व छठ हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के साथ शुरू होता है। इस बार चार दिवसीय महापर्व की शुरुआत आज यानी 17 नवंबर से शुरू हो रही है। छठ पूजा के दौरान छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा की जाती है। इस पर्व को संतान के लिए रखा जाता है। महापर्व के पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन अस्त होते सूर्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद व्रत का पारण यानि समापन किया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा को छठ पूजा करने की सलाह दी थी।
तभी से महिलाएं यह व्रत कर रही हैं। छठ पर्व में नहाय-खाय का विशेष महत्व और मान्यता है। इस दिन व्रती शुद्ध होकर सात्विक भोजन करती है। नहाय खाय के दिन ही छठ में चढ़ने वाला खास प्रसाद (ठेकुआ) के लिए गेंहू को धोकर सुखाया जाता है। व्रतियों को नहाय-खाय 11.38 बजे तक कर लेना चाहिए। नहाय-खाय के दिन सबसे पहले व्रती नदी या घर में स्नान करती हैं। इसके बाद घर की साफ-सफाई की जाती है। इस दिन सेंधा नमक में लौकी (कद्दू) की सब्जी, अरवा चावल और चना का दाल बनता है।
यह खाना घी में बनाया जाता हैं और सबसे पहले व्रती इस खाने को खाती हैं उसके घर के सभी लोग प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करते हैं। बता दें कि नहाय-खाय के दिन सात्विक भोजन किया जाता है। इसमें लहसुन-प्याज का इस्तेमाल वर्जित माना जाता है। नहाय-खाय के दिन भोजन करने के बाद व्रती अगले दिन शाम को खरना पूजा करती है। इस दिन भी लकड़ी के चूल्हे में खरना का प्रसाद (चीनी या गुड़ की खीर और रोटी) बनती है। इसके बाद व्रती पूजा करती है और फिर प्रसाद ग्रहण करती हैं।
इसके बाद छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही घर में देवी षष्ठी (छठी मईया) का आगमन हो जाता है। इस बार खरना के दिन पूजा शनिवार संध्या 05.22 बजे के बाद और रात्रि 09.42 बजे से पहले तक कर लेना है।
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