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हक की मांग बहुत हुआ, अब छीनकर लेना होगा अपना अधिकार : राकेश रंजन, There is enough demand for rights, now our rights will have to be snatched away: Rakesh Ranjan



चांडिल। अखिल झारखंड विस्थापित अधिकार मंच के अध्यक्ष राकेश रंजन के नेतृत्व में चांडिल डैम में चल रहे सोलर पैनल लगाने के लिए हो रहे हैं मिट्टी की जांच का किया गया विरोध। राकेश रंजन ने कहा हाइड्ल पावर प्लांट एवं झारखण्ड राज्य सोलर पावर पॉलिसी 2022 के तहत बिजली उत्पादन का टेंडर झारखण्ड रिन्युअल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (जरेडा) को दिया गया है। अभी वर्तमान में चांडिल डैम के अंदर मिट्टी की जांच के लिए टेंडर दिया गया है।

जानकारी के लिए सैंकड़ों विस्थापित 10 नावों से पानी के अंदर पहुंचे, तथा वहां के काम करने वाले कर्मियों से बातचीत किए गए। बातचीत के दौरान उनसे एनओसी पेपर मांगा गया, परंतु उपलब्ध नहीं कर सके, वहीं उन लोगों से वर्क आर्डर पेपर मांगा गया, परंतु इसे भी दिखाने में नाकाम रहे। इस विषय पर भू अर्जन पदाधिकारी राजीव गारी से बात किया गया तो उन्होंने डैम कार्यालय -२ के उपर हवाला देते हुए कहा कि इस विषय में मुझे कोई जानकारी नहीं है। 

जब डैम कार्यालय-2 पर संपर्क किया गया तो वहां से कॉल रिसीव नहीं किया। मत्स्य विभाग के नारायण गोप बोले की मुख्य अभियंता संजय कुमार के ऑर्डर से सारा चीज हो रहा है। जब उनसे डॉक्यूमेंट मांगा गया तो वह भी उपलब्ध नहीं कर सके । टेंडर के मालिक संतोष यादव तथा हाइड्रा विभाग के एसडीओ मधुकर आनंद से बात किया गया। दूरभाष में ही बारी-बारी से 2 घंटा वार्ता के बाद निर्णय लिया गया कि 23 नवंबर 2023 दोपहर 2:00 बजे के बाद कुकरू प्रखंड के कुमारी गांव में विस्थापितों के उपस्थिति में 10 प्रतिनिधिमंडल सदस्यों के साथ वार्ता किया जाएगा तब तक मिट्टी की जांच कार्य बंद रहेगी। 

आगे राकेश रंजन ने बताया जब तक हमें अपना अधिकार प्राप्त नहीं होता है तब तक के लिए चांडिल डैम में किसी तरह का कोई भी काम करने नहीं दिया जाएगा। आज मिट्टी की जांच हो रहा है कल सोलर पैनल लगेगा। आज जहां विस्थापित मछलियां पकड़ कर अपने जीवन यापन कर रहे हैं हम सारे लोग भुखमरी की स्थिति में पहुंच जाएंगे। हम सारे विकास विरोधी नहीं है स्वागत करते हैं विकास के लिए पर उसे विकास का क्या फायदा जहां 84 मौजा 116 गांव के लोग का विनाश हो। 

अपने हक और अधिकार के लिए अब दोबारा कोई आंदोलन नहीं होगा। यह हमारा अंतिम लड़ाई तथा आर पार की है इसलिए सरकार को हमें हमारा हक अधिकार देना होगा। इस मौके पर विवेक सिंह बाबू, अरुण धीवर, बाली सिंह ,दीनबंधु कुम्हार, तरणी प्रमाणिक, भाटु माझी ,जितेंद्र नाथ महतो हरेकृष्णा महतो,लाभा महतो अंजना महतो,मोनिका महतो आदि सैकड़ो महिला एवं पुरुष विस्थापित उपस्थित थे।

 

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