हाता। बड़े ही दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि वर्तमान समाज में आधुनिकता के नाम पर अश्लीलता और नग्नता को पुरुष से ज्यादा महिलाएं फैला रही है। माफ कीजियेगा सब महिलाएं नहीं, किन्तु खास कर आधुनिक और नायिकाएं यह सब कर रही है केवल पैसा और पॉपुलैरिटी के लिए। पुरुष छोटा कपड़ा नहीं पहनता है, शरीर भी नहीं दिखाता है, एकदम नग्न भी नहीं होता है, लेकिन आज का नारी सब हद पार कर दी है। पहले तो पुरुष का पोशाक जैसे, जीन्स, गंन्जी पहनती हैं, हाफ पैंट और फटी हुई कपड़ा पहनती हैं। नग्न शरीर दिखाती है।
अश्लीलता की सब सीमा पार कर दी है आधुनिकता के नाम पर, अभिनय के नाम पर और पैसा के लिए। मां शारदा देवी कहती है, लज्जा ही नारी का भूषण है। नारी कभी अपना शरीर नहीं दिखाएंगे। पुरुष का कपड़ा नहीं पहनेंगे।नारी देवी का स्वरूप है इसलिए अश्लील आचरण नहीं करेंगे। आधुनिकता का अर्थ अश्लीलता नहीं मन को उदार,पवित्र ,कलुष मुक्त, कुसंस्कार मुक्त करने का नाम आधुनिकता है। महिलाएं नाम और पैसा कमाने के लिए लज्जा हीन हो रही हैं।
समाज में नग्नता और अश्लीलता का जहर फैला रही है, जिसका प्रभाव बच्चे और युवाओं के ऊपर पड़ रहा है। वे विभ्रांत और विपथगामी हो रहे हैं। चरित्र नष्ट हो रहा है। आधुनिक महिलाएं थोड़ा सोचो थोड़ा लाज शर्म करो, लज्जा को मत बेचो। सबसे दुःख की बात यह है कि आधुनिक महिलाएं की इस तरह का हरकत देखकर भी नारीवादी संगठन और महिला समिति सब चुपचाप है। कोई विरोध नहीं करते हैं, कोई मना नहीं करते हैं, सामाजिक इस पतन के लिए कोई आवाज़ नहीं उठाते हैं।
आज तो मोबाइल देखना आफत हो गया। अश्लील फोटो और अश्लील वीडियो का भरमार है। ओपेन सेक्स दिखाया जाता है। वाह रे आधुनिकता, कहाँ जा रहे आपलोग, कहाँ ले जाना चाहते समाज को। पशु पक्षी का लाज शर्म है, लेकिन आदमी आज अपना लाज शर्म, गरिमा को खत्म कर चुके हैं खासकर महिलाएं। आपलोगों से अनुरोध है थोड़ा रुक जाइये, समाज को गंदा मत करें। भावी पीढ़ियों को बर्वाद न करें।अश्लीलता, नग्नता और खुलेआम शरीर दिखाना बन्द करें। मानव समाज को पशु समाज न बनाये।
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