31 दिसम्बर को बालक दास बाबाजी की 18 वीं पुण्य तिथि पर विशेष
हाता। पोटका प्रखंड के हाता में दो विख्यात आश्रम है। एक चाईबासा रोड में श्रीश्री योगेश्वरी आनंदमयी माताजी आश्रम जिसकी प्रतिष्ठा सन 1938 में हुई हैं। जिसकी संस्थापिका भगवान श्रीरामकृष्ण की मंत्र शिष्या योगेश्वरी आनंदमयी माताजी है। दूसरा आश्रम हल्दीपोखर रोड में है जिसकी प्रतिष्ठा सन 1966 को की गई है। इस आश्रम का पूरा नाम प्राचीन गुरुकुल रामगढ़ आश्रम है। इस आश्रम का प्रतिष्ठाता स्वर्गीय बालक दास बाबाजी है। इस जगह का नाम रामगढ़ था और इस रामगढ़ में बालक दास बाबाजी जी ने गुरुकुल शिक्षा की नींव रही थी इस लिए इस आश्रम का नाम प्राचीन गुरुकुल रामगढ़ आश्रम पड़ा है।
यह आश्रम पोटका प्रखंड के जुड़ी पंचायत में स्थित हाता गांव में है। बालक दास बाबाजी ओडिशा से यहाँ आये थे।पहले वे माताजी आश्रम में पधारे थे। उस समय माताजी आश्रम में योगेश्वरी माँ की मंत्र शिष्या रानुमा द्वितीय माताजी थी।बाबाजी, माताजी आश्रम में रहने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन माताजी आश्रम महिलाओं का आश्रम होने के कारण रानुमा उन्हें आश्रम में रख नहीं पायी और हल्दीपोखर रोड में उस समय पहाड़ से घेरा था वहां पर आश्रम बनाने की सलाह दी। बालक दास बाबाजी सन 1966 में रामगढ़ आश्रम की स्थापना स्थानीय लोगों की सहयोग से की।1968 साल से उन्होंने यज्ञ और हरिनाम संकीर्तन माघी पूर्णिमा के दिन शुरू की।
इसके पहले उस जगह पर भिन्न भिन्न गांव के लोग वनभोज करते थे। 1968 से 1979 तक 12 वर्ष बाबाजी ने पांच दिवसीय बिष्णु यज्ञ और अखंड हरिनाम संकीर्तन का शुभारंभ किया। उसके बाद 1980 से 1991 तक 12 बर्ष उन्होंने पांच दिवसीय चंडी यज्ञ और हरिनाम संकीर्तन का आयोजन किया। 1992 से 2003 तक 12 बर्ष पांच दिवसीय महारुद्र यज्ञ और अखंड हरिनाम संकीर्तन का आयोजन किया। 2004 से 2015 साल तक आश्रम में पांच दिवसीय गीता यज्ञ और हरिनाम संकीर्तन का आयोजन हुआ, लेकिन उन में से मात्र 2004 और 2005 तक का यज्ञ और हरिनाम संकीर्तन ही उन्होंने कर पाए थे।
दुर्भाग्य से बालक दास बाबाजी 31 दिसंबर 2005 को हमे छोड़ कर आनंद धाम में सदा सदा के लिए चले गए। उनके जाने के पश्चात भी यज्ञ और हरिनाम संकीर्तन बंद नहीं हुआ। रामगढ़ आश्रम कमेटी ने स्थानीय लोगों का सहयोग से यज्ञ और हरिनाम संकीर्तन जारी रखा। 2015 तक गीता यज्ञ और हरिनाम संकीर्तन का आयोजन नियमित रूप से धूमधाम से हुआ। फिर 2016 से 2022 तक यद्यपि कोरोना काल मे भी पांच दिवसीय यज्ञ और अखंड हरिनाम संकीर्तन बाबाजी के आशीर्वाद से कमिटी द्वारा आयोजन किया गया। 2023 में 5 फरवरी को पांच दिवसीय बिष्णु यज्ञ और हरिनाम संकीर्तन का आयोजन धूमधाम से किया गया।
बाबाजी का आशीर्वाद से आश्रम का विकास और प्रचार-प्रसार हो रहा है। रामगढ़ आश्रम में यज्ञ शाला और हरि मंदिर के अलावे गणेश मंदिर,शिव मंदिर, उपनयन शाला,बाबाजी का समाधि मंदिर भी है। इस वर्ष बाबाजी की 18 वी पुण्यतिथि रामगढ़ आश्रम में मनाई जायेगी। बालक दास बाबाजी एक निर्भीक, त्यागी और परम ज्ञानी संत थे। एक सादे कपड़े पहनते थे और एक लाल चादर उड़ते थे। पैर में खरम और हाथ मे एक बैग रहता था। साधारण भेष भूसा और साधारण जीवन धारण करते थे, लेकिन भगवान का काम और समाज कल्याण का काम करते थे। बालक दास बाबाजी रामगढ़ आश्रम के रूप में इस अंचल के लोगों को बहुत ही सुंदर तोफा देकर गए हैं जिसकी रक्षा करना और विकास करना हम सभी का नैतिक कर्तब्य और दायित्व है। बाबाजी की 18 वीं पुण्य तिथि पर उनके चरणों में कोटि कोटि नमन।
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