हाता। राजनगर प्रखंड के राजावासा गांव में स्थित एक एतिहासिक पहाड़ है जिसका नाम है चावड़ा पहाड़। यह चावड़ा पहाड़ के उपर में स्थित एक विशाल तालाब है। यह तालाब भूमि तल से करीब तीन किलोमीटर के ऊपर चावड़ा पहाड़ के चोटी पर स्थित है। इसी तालाब के सामने माताजी आश्रम हाता की संस्थापिका महान साधिका, वाक सिद्धा, भगवान रामकृष्ण देव की शिष्या श्रीश्री योगेश्वरी आनंदमयी माताजी ने एक छोटी सी कुटिया बनाकर 12 बर्ष तक साधना करके सिद्धि प्राप्त की थी और अलौकिक आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त की थी।
इसी चावड़ा पहाड़ को लेकर अनेक कथा और कहानी प्रचलित है, लेकिन साधिका योगेस्वरी माँ के साधना स्थल के कारण यह पहाड़ एक तीर्थ भूमि भी है, लेकिन इस एतिहासिक जगह पर आज तक किसी का ध्यान नहीं गया है। इस चावड़ा पहाड़ और तालाब को मुझे और माताजी आश्रम के भक्तजनों को देखने का मौका मिला है। मैं इस पुण्य भूमि में तीन बार जा चुका हूँ। अभी माताजी की कोई स्मृति अवशेष नहीं है शिवाय खंडहर भूमि के अलावे। ठाकुर जी के आदेश पर माताजी ने उनके परम भक्त चाईबासा के आशुतोष हुई और अतुला सुंदरी हुई के सहयोग से माँ योगेश्वरी ने सन 1938 को हाता में माताजी आश्रम की स्थापना की है।
उस समय माताजी आश्रम के मूल ठाकुर घर खपड़ा और मिट्टी की थी। भगवान रामकृष्ण की असीम कृपा और योगेश्वरी माँ और उनकी संन्यासी शिष्या रानुमा तथा रानुमा की शिष्या सुनीति माँ का आशीर्वाद और भक्तजनों की सहयोग से माताजी आश्रम में रामकृष्ण मंदिर 85 सालों के बाद बन गया है जिसकी प्रतिष्ठा बिगत 14 मार्च 2022 को धूमधाम से किया गया है। यह हम सभी भक्तजनो तथा इस अंचल के आम जनताओं के लिए गौरव और शौभाग्य की बात है आज सचमुच माताजी आश्रम एक तीर्थ का रूप ले लिया है।
अभी सालों भर छोटे,बड़े बिविध धार्मिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, समाज कल्याण और सेवा मूलक काम हो रहा है।इसके अलावे प्रतिदिन ठाकुर रामकृष्ण, माँ शारदा देवी, स्वामी विवेकानंद, योगेश्वरी और रानुमा कि पूजा सेवा हो रहा है। प्रतिदिन संध्या आरती, भजन कीर्तन और रामकृष्ण कथामृत का भी पाठ हो रहा। आश्रम को और भी सजाना है इसलिए दाता दानी तथा भक्तजनों की सहायता की जरूरत है। आश्रम में दो अतिथि भवन वर्तमान निर्माणाधीन है। इसके लिए कुछ सहयोग की जरूरत है।
माताजी आश्रम केवल एक आश्रम नहीं, बल्कि एक सिद्ध पीठ और योगेश्वरी और रानुमा जैसे महान साधिकाओं का कर्मभूमि भी है। आओ हम सभी मिलकर इस धार्मिक धरोहर को रक्षा करें और विकास का काम करें। जय रामकृष्ण। जय माँ योगेश्वरी। जय रानुमा।जय सुनीति माँ।
No comments:
Post a Comment