रांची। टाटा ग्रोथ शॉप ( पूर्व का टाटा स्टील लौंग प्रोडक्ट लिमिटेड) कंपनी में कार्यरत कर्मचारी व मजदूरों ने कहा कि दस माह बीत जाने के बाद भी विवादित टाटा कामगार यूनियन विवाद के मामले में ना जाने किस दवाब कारण अबतक श्रमायुक्त सह निबंधक संजीव कुमार बेसरा कोई ठोस निर्णय नहीं ले रहें हैं और ना ही आगे कोई कार्रवाई करने की दिशा में पहल कर रहे हैं। बताया कि मामला दस माह से लंबित होने से विवादित टाटा कामगार यूनियन के पदाधिकारियों ने फायदा उठा कर चुनाव धांधली का विरोध करने वाले कार्यरत मजदूर/कर्मचारियों को लालच एवं भय दिखला कर अपने पक्ष में करने एवं श्रम विभाग के पदाधिकारियों को गुमराह कर रजिस्टर (बी) में पंजीकृत कराने का हर संभव प्रयास कर रहा है। बताया गया है कि धांधली कर बने युनियन की निष्पक्षता व पूर्ण चुनाव कराने के लिए आवेदन देकर मुख्य शिकायतकर्ता रामचन्द्र दास विगत दस माह से लगातार श्रम विभाग के रांची मुख्यालय, श्रम भवन और कभी जमशेदपुर उप श्रमायुक्त कार्यलय का चक्कर काट रहे हैं। वे विगत 18 दिसंबर'2023 को सेवानिवृत्त भी हो गये है।
टीजीएस कंपनी के विवादित टाटा कामगार युनियन विवाद को समाप्त करायें झारखंड सरकार के श्रमायुक्त सह निबंधक Labour Commissioner cum Registrar of Jharkhand Government should end the controversial Tata Workers Union dispute of TGS Company
उन्होंने बताया कि टाटा कामगार यूनियन चुनाव में धांधली किये जाने की शिकायत जब श्रम कार्यालय में दर्ज कराया था, उस वक्त उनके साथ लगभग बीस कर्मचारी साथ थे, अब मात्र पांच साथी ही शेष हैं, जबकि तत्कालीन उपश्रमायुक्त जमशेदपुर और श्रम अधीक्षक, सरायकेला खरसावां के जांच में चुनाव में धांधली किए जाने की भी जांच रिपोर्ट बना कर मुख्यालय को भेजा दिया गया था।
अब श्रम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अन्य युनियनों का भी ज्यादा कर्मचारी सदस्यों होने कि दावेदारी कर कंपनी में बहाल करने की मांग होने का कारण निर्णय लेने में विलंब होने की बात बताई जा रही है। इसकी जानकारी होने पर रामचन्द्र दास एवं अन्य कर्मचारियों ने पुनः विगत 06 दिसंबर'2023 को श्रमायुक्त सह निबंधक, संयुक्त श्रमायुक्त सह उप निबंधक राकेश प्रसाद और उप श्रमायुक्त, जमशेदपुर को आवेदन पत्र देकर मांग किया है कि टीजीएस में अन्य युनियनों के द्वारा भी यदि ज्यादा कर्मचारी सदस्य होने की दावेदारी का हवाला देकर बहाल होने का प्रयास किया जा रहा है तो उन सभी यूनियनों में शामिल कर्मचारी सदस्यों का निष्पक्षता से जांच कर स्पष्ट करते हुए पुनः टाटा कामगार यूनियन पदाधिकारियों के पदों पर प्रशासनिक देखरेख में चुनाव करवाया जय ताकि गरीब कर्मचारी व मजदूरों के हित में न्याय संगत निर्णय हो सके और कर्मचारियों को टाटा स्टील के द्वारा तय निर्धारित सुविधाएं मिल सके।
No comments:
Post a Comment