गुवा। सारंडा वन प्रमंडल अन्तर्गत गुवा वन क्षेत्र के काशिया-पेचा गांव निवासी मंगता सुरीन को ग्रामीणों ने वन विभाग को घेरकर जबरन मुक्त कराया। यह घटना 25 दिसम्बर की सुबह लगभग 10-11 बजे के बीच की बताई जा रही है। घटना के बाबत मंगता सुरीन ने बताया की वह व अन्य ग्रामीण अपनी जमीन पर लगी धान, मक्का की फसल को काट रहे थे। तभी वन विभाग की टीम एक वाहन से पहुंची एवं हमारे पास आकर हमें पकड़ अपने साथ ले जाने लगी। हमें पकड़ कर ले जाते देख लगभग 50-60 ग्रामीण, जिसमें महिलाएं भी थी, वन विभाग का रास्ता रोक हमें छुड़वाया।
इस दौरान वन विभाग गांव की कुछ महिला व पुरुष का फोटो भी मोबाईल में खिंचा है, जिससे किसी मामले में फंसाने का भय बना हुआ है। एक सवाल के जबाब में मंगता सुरीन ने बताया की जिस जमीन पर वह व अन्य ग्रामीण खेती किये हैं वन वन विभाग की जमीन है। वर्ष 1980 के दशक में झारखण्ड आंदोलन के दौरान उनके दादा आदि ने काटकर खेत बनाया था। इस जमीन पर वह वर्षों से खेती करते आ रहे हैं।
वन विभाग हमें क्यों पकड़ ले जा रही थी वह पता नहीं। वन विभाग हम ग्रामीणों को इस क्षेत्र से भागने और दुबारा इधर नहीं आने की बात बोली। अगर वन विभाग ऐसा करेगी, निर्दोष लोगों को फंसायेगी तो तमाम ग्रामीण वन विभाग के गुवा कार्यालय का घेराव करने हेतु बाध्य होंगे। उन्होंने कहा कि 21 दिसम्बर को मृत जंगली सुअर के साथ तीन ग्रामीण को वन विभाग पकड़ ले गई थी। उन्होंने कहा कि बीते 19 अक्टूबर को गांव के 5-6 किसानों का रैयत भूमि पर लगे धान की फसल को हाथी खा गया था, एक बकरी को मार डाला था।
जिसका मुआवजा हेतु आवेदन वन विभाग को दिया गया है लेकिन मुआवजा अब तक नहीं मिला। दूसरी तरफ सारंडा डीएफओ अभिरुप सिन्हा से सम्पर्क करने पर उन्होंने बताया की उक्त क्षेत्र में जंगल काटने, जंगली जानवरों को मारने हेतु फंदा लगाने की सूचना मिली थी। इसका सत्यापन व जंगल कटाई तथा जंगली जानवरों का शिकार में शामिल लोगों को उक्त जंगल क्षेत्र से भगाने हेतु गई थी। मंगता सुरीन या अन्य किसी ग्रामीण की गिरफ्तारी हेतु वन विभाग की टीम नहीं गई थी। उन्होंने बताया की इसी जंगल क्षेत्र में बीते 21 दिसम्बर को काशिया-पेचा गांव के ग्रामीणों ने तार का फंदा लगाकर एक जंगली सुअर का शिकार कर मांस काट रहा था।
सूचना पाकर गुवा वन विभाग की टीम छापेमारी कर मौके से तीन ग्रामीण सुरदन सुरीन, चरण सुरीन व गंगाराम सुरीन को मृत जंगली सुअर के साथ गिरफ्तार कर जेल भेजा था। उन्होंने कहा कि वनों में रहने वाले तमाम ग्रामीणों का कर्त्तव्य है कि वह जंगल व जंगल में रहने वाले तमाम वन प्राणियों का रक्षा करें, न कि उनका शिकार व जंगलों को काटे। वन विभाग ग्रामीणों का सदैव से दोस्त व सहयोगी रही है। ग्रामीण भी जंगल, वन प्राणियों का नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ वन विभाग की कार्यवाही में सहयोग करें।
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