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आखान यात्रा के दिन से देवताओं का जागरण और शुद्ध काल शुरू होता है : सुनील कुमार दे, The awakening of the gods and the pure period begins from the day of Aakhan Yatra: Sunil Kumar De,


16 जनवरी आखान यात्रा पर विशेष

हाता। मकर संक्रांति सह मकर पर्व के पीछे अनेक मान्यताएं छिपी हुई है। पौष महीने के अंतिम दिन को संक्रांति कहा जाता है जो मकर संक्रांति सह मकर पर्व से जाना जाता है। श्रावण महीने से लेकर पौष महीने तक को दक्षिणायन कहा जाता है जो देवताओं का रात है जिसमें देवताओं लोग सोते हैं। इसलिए इस काल को अशुद्धि काल कहा जाता है जिसमें किसी प्रकार का शुभ काम नहीं होता है। माघ से लेकर आषाढ़ तक को उत्तरायण कहते हैं जो देवताओं के लिए दिन है, जिसमे देवताओं लोग जागे रहते हैं।


इस समय सारा शुभ काम होता है। मकर संक्रांति के दूसरे दिन अर्थात माघ महीने के पहला दिन को आखान यात्रा कहा जाता है। आखान यात्रा इसलिए कहा जाता है कि शुद्ध काल का यह पहला दिन है। आखान यात्रा हमारे झरखण्ड में काफी लोकप्रिय है। इस आखान यात्रा के दिन सारे अच्छे काम और शुभ काम किया जाता है। इस दिन गांव में बंदर नाच किया जाता है बंदर साजकर  बोला जाता है,, ई डालेर बंदर टा से डाल के जाय, डाले डाले रे बंदर कला पाका खाय। बंदर नाच करने वाले को घर घर में गुड़ पीठा, मुड़ी और पुर पीठा दिया जाता है। इसी दिन से टुसु मेला भी शुरू हो जाता है। जगह जगह टुसु मेला आयोजित किया जाता है, टुसु प्रतियोगिता होती है। अच्छे तुसुओ को मेला कमेटी ने पुरस्कृत करते हैं। आखान यात्रा से यह टुसु मेला 15 दिनों तक चलता है।

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