चांडिल। कुकड़ू प्रखंड के शीशी गांव में करोड़ों रुपए की लागत से निर्माण की जा रही अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय काफी निम्न स्तर से किया जा रहा है। शीशी गांव के इम्तियाज अंसारी ने कहा कि विद्यालय निर्माण में बालू, गिट्टी, छड़, ईंट आदि निम्न स्तर का लगाया जा रहा है। अब्दुल अंसारी ने कहा कि निर्माण कार्य में नाला की मिट्टी युक्त बालू का प्रयोग किया जा रहा है। डाटम गांव निवासी पशुपति लोहरा ने बताया कि कार्य स्थल में मुंशी द्वारा महिला मजदूरों के साथ अभद्र भाषा प्रयोग किया जाता है।
बुधवार की सुबह भारी संख्या में ग्रामीणों ने आकर निर्माण कार्य का जायजा लिया। ग्रामीणों ने बताया कि निर्माण कार्य में बहुत ही घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है वही पूरे कार्य मे जंग लगा छड़ का उपयोग किया जा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि अगर कोई हम लोग आकर ठीक से काम करने बोला तो धमका कर भगा दिया जाता है। बेस पिलरों में काफी कम मात्रा में का सीमेंट मिलाया हुआ है जो हाथ से खुदरने से भी टूट रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि विद्यालय निर्माण में बालू, गिट्टी, छड़, ईंट आदि निम्न स्तर का लगाया जा रहा है।
ग्रामीणों ने कहा कि निर्माण कार्य में नाला की मिट्टी युक्त बालू का प्रयोग किया जा रहा है। विद्यालय भवन का शिलान्यास 25 मई 2023 को झारखंड सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन, स्थानीय सांसद संजय सेठ, स्थानीय विधायक श्रीमती सविता महतो एवं सरायकेला खरसावां के जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। शिलापट में प्राक्कलन राशि, मजदूरी दर आदि अंकित नहीं है। इससे स्पष्ट होता है कि निर्माण कार्य भ्रष्टाचार में लिप्त है।
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