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जिला विधिक सेवा प्राधिकार ने आयोजित किया जिला स्तरीय मल्टीस्टैक होल्डर कंसल्टेशन कार्यक्रम, District Legal Services Authority organized District Level Multistack Holder Consultation Programme,


चक्रधरपुर। जिला विधिक सेवा प्राधिकार पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा के तत्वाधान में एक दिवसीय जिला स्तरीय मल्टी स्टेक होल्डर्स कंसल्टेशन कार्यक्रम का आयोजन वन प्रशिक्षण विधालय के सभागार में किया गया। उपरोक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित प्रधान जिला एवं सत्र न्यायधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार पश्चिमी सिंहभूम विश्वनाथ शुक्ला ने अपने संबोधन में उपस्थित हितधारकों को प्रेरित करते हुए कहा कि आज बाल संरक्षण किशोर न्याय अधिनियम 2015, पोक्सो कानून, और जिला विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा प्रदान की जा रही सुविधाओं से संबंधित जानकारी विषय विशेषज्ञों के द्वारा प्रदान की जा रही है।




इस अवसर का लाभ लेते हुए अपना अधिकतम ध्यान केंद्रित करें और अपने क्रियाकलापों में इसे शामिल करें। योगेश्वर मनी प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय ने आज के आयोजन के उद्देश्यों को विस्तृत रूप से वर्णित करते हुए कहा कि हमें अपनी जानकारी और समझ को सदैव विकसित करते रहना है जिससे हम समाज में एक जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभा सके। किशोर न्याय अधिनियम 2015 के विषय पर प्रधान दंडाधिकारी, जेजेबी श्री तौसीफ मेराज ने किशोर न्याय बोर्ड की कार्यप्रणाली और प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी प्रदान की, उन्होंने परीविक्षा पदाधिकारी के  कार्यवाही के बारे में भी बताया वहीं राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य विकास दोदराजका ने भी बच्चों के पुनर्वास और  पुनरेकीकरण पर कानूनी प्रावधानों की विस्तृत व्याख्या की,  उन्होंने कहा कि विधि का उल्लंघन करने वाले बालक को भी देखभाल एवं संरक्षण की आवश्यकता होती है।


विशेष पोक्सो कोर्ट के न्यायधीश श्री ओम प्रकाश ने पोक्सो कानून 2012 के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि यह कानून बालक और बालिकाओं के लिए समान रूप से लागू होता है, इसके अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के साथ किए जाने वाली यौन अपराधों से संबंधित मामले में दंडित करने का प्रावधान है। जिला विधिक सेवा प्राधिकार की कारवाई से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विनोद कुमार ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश पी एन भगवती की अध्यक्षता में गठित कमिटी के निर्णय के आलोक में विधिक सेवा प्राधिकार की स्थापना का निर्णय लिया गया।


 विधिक सेवाओ को सुलभ कराने के लिए प्रत्येक जिले में जिला विधिक सेवा प्राधिकार का गठन किया गया। प्राधिकार के द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति महिलाएं वृद्धों, बालक, दिव्यान्गजनो के लिए विशेष रूप से अपनी सेवाएं प्रदान की जाती  है साथ ही लोक अदालत और मध्यस्थता जैसे कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को सीधे तौर पर लाभांवित करती करती है, प्रत्येक माह मासिक लोक अदालत का आयोजन और अंतराल में राष्ट्रीय लोक अदालत की माध्यम से सुलहनीय मामलों को नि:शुल्क निष्पादन किया जाता है।


इसके अलावा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण लोगों को विधिक रुप से सशक्त करने के लिए गांव गांव जाकर  जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन भी करती है। प्राधिकार की संरचना और विशेषता पर उन्होंने कहा कि यह न्यायपालिका और कार्यपालिका का यह संयुक्त रुप है जिसके अध्यक्ष प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश और उपाध्यक्ष जिले के उपायुक्त होते हैं,  पुलिस अधीक्षक भी प्राधिकार के सदस्य होते हैं। 


मौके पर प्राधिकार के सचिव राजीव कुमार सिंह ने भी चाईबासा डीएलएसए के द्वारा किए गए कार्यकलापों की  जानकारी प्रदान की और बताया कि प्राधिकार के माध्यम से लोग निरंतर लाभांवित हो रहे हैं। धन्यवाद ज्ञापन ऋषि कुमार न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी ने किया जबकि मंच का संचालन बाल आयोग के सदस्य विकास दोदराजका ने किया।


इस अवसर पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय  सूर्यभूषण ओझा, रेलवे दंडाधिकारी अमीकर परवार, एलएडीसी के डेप्युटी चीफ सुरेंद्र प्रसाद दास, रत्नेश कुमार, जीपी पवन शर्मा वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष मिश्रा, एन एन पांडेय, अमर बक्शी, पूजा चौरसिया, मिली बिरूआ सीडब्ल्यूसी के सनातन तिरिया, डीएलएसए सहायक अमित कुमार, खगेंद्र महतो सहित पीएलवी संजय कुमार निषाद  मो शमीम, उदय कुमार, अरुण विश्वकर्मा, रेणु कुमारी, सोमा बोस, नीतू सार, अलकमा रूही असीमा चैटर्जी, दिलबहादुर, पार्वती समद, सुमन गोप स्वाति मुखर्जी आदि उपस्थित थे।

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