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अहंकार पतन का कारण है : सुनील कुमार दे, Ego is the cause of downfall: Sunil Kumar De,


हाता।  अगर किसी व्यक्ति के अंदर अहंकार आ गया तो उसका पतन होना निश्चित है। धन, यौवन, शिक्षा, ज्ञान, विद्या, बुद्धि, मान, सम्मान, प्रतिष्ठा, बल, शक्ति आदि किसी प्रकार का अहंकार अगर मन में जागृत होना शुरू हो जाय तो उसका पतन होने में ज्यादा दिन समय नहीं लगेगा। कोई भी व्यक्ति जाहे किसी भी क्षेत्र में रहे यह कभी नहीं समझे कि वह ही सर्वपरि है, उससे बढ़कर कोई महान, बलवान ताकतवर, बुद्धिमान, धनवान नहीं है। दुनिया में शेर है तो सवा शेर भी है। अपने आप को कोई सुपरमैन नहीं समझे। भगवान किसी का अहंकार को सहन नहीं करते है। समय आने पर अहंकारी व्यक्ति का बिनाश जरूर करते है हिरण्यकश्यप, रावण, कंस,  दुर्योधन, दुःशासन, महिषासुर, शुम्भ, निशुम्भ, रक्तवीच, आदि जिसके अनेक उदाहरण है। भगवान अपना अहंकार भी अपने ही चूर्ण करते हैं, इंसान तो कौन खेत की मूली है। राम अवतार में परशुराम का अहंकार को चूर किया था। इसलिए आदमी को अहंकार नहीं करना चाहिए। अहंकार के मद में चूर होकर दूसरों का अकल्याण, क्षति और अमंगल नहीं करना चाहिए। अन्याय, अत्याचार और अधर्म नहीं करना चाहिए।


अहंकार से आत्म विश्वास अच्छा है। हम सभी के अंदर प्रभु की शक्ति क्रियाशील है। हम अनंत शक्ति की अधिकारी है। हम असहाय, दुर्बल और कमजोर नहीं है। दुनिया में यैसा कोई चीज नहीं है जो हम नहीं कर सकते हैं, इसको आत्म विश्वास कहा जाता है अहंकार नहीं। यह आत्म विश्वास से अपना भी मंगल है, समाज और देश का भी मंगल है।स्वामी विवेकानंद जी हमे यही संदेश दिया है कि,,तुम आत्म विश्वासी बनो,अपने आप पर भरोसा रखो,अपने आप को विश्वास करो, बाकि सब कुछ अपने आप हो जायेगा यही सबसे बड़ी आस्तिकता है। अगर तुम भगवान पर विश्वास करते हो, लेकिन अपने आप पर विश्वास नहीं करते हो तो तुम सबसे बड़ा नास्तिक हो।

इसलिए अहंकार को छोड़ कर  हमे आत्म विश्वास को जगाना है इसी में सभी का कल्याण है।अहंकार इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है।

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