जमशेदपुर। विवेकानंद वह मार्गदर्शक थे, जिन्होंने भारत के युवाओं की नब्ज को पहचाना था पूरी जनता के बीच नवांकुरों को जोड़ा व उत्साह से भरपूर युवाओं को देश व समाज के नवनिर्माण से जोड़ा था, सही अर्थों में वे युग दृष्टा थे। इस अवसर पर वरिष्ठ महिला साहित्यकारों की संस्था *फुरसत में* द्वारा उन्हें काव्यात्मक श्रद्धांजलि अर्पित की गई और राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया गया।
वरिष्ठ कवयित्री छाया प्रसाद की रचना : उठो आज संकल्प करो, युवा दिवस के अवसर पर। विवेकानंद के पद चिन्हों पर चलकर सपना पूर्ण करो।..ने जहां वाहवाही बटोरी.वहीं युवा कवयित्री सुस्मिता-सलिलात्मजा.ने युवा वर्ग को समर्पित अपनी रचना फढी.और सबको प्रभावित किया।
ताक रहे हो आसमान क्यों .इसी उम्र में . युवा वर्ग के मेरे साथी, संसार की वरिष्ठ भावप्रवण रचनाकार किरण सिन्हा-गंभीर रचना प्रस्तुत की *दुनिया की चकाचौंध में. स्वयं को इतना न खोओ तुम. पुकार रहा है राष्ट्र तुम्हें।
मंच संचालन करते.हुए कवयित्री पद्मा मिश्रा ने कहा- अब तो जागो, मेरे भारत के युवा सपूतों, अब भी अंधियारा क्यों मन में ?क्यों संशय की खिंची दीवारें*?.काव्यात्मक श्रद्धांजलि के अवसर पर कार्यकारिणी के.सभी सदस्य डा सरित किशोरी श्रीवास्तव. .श्रीमती आनंद बाला शर्मा. डा मीनाक्षी कर्ण..अनीता निधि.सुधा अग्रवाल उपस्थित थे।
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