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नववर्ष के स्वागत में साहित्यिक संस्था *फुरसत में* द्वारा आनलाइन काव्य गोष्ठी आयोजित की गई, To welcome the New Year, an online poetry seminar was organized by the literary organization *Fursat Mein*.


जमशेदपुर।
  नववर्ष के स्वागत में वरिष्ठ महिला साहित्यकारों की साहित्यिक संस्था *फुरसत में* द्वारा आनलाइन काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें  संचालिका इंदिरा पाण्डेय द्वारा गाई सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। समस्त महिला रचनाकारों का स्वागत अध्यक्ष पद्मा मिश्रा ने किया। प्रथम प्रस्तुति संस्था की वरिष्ठ कवयित्री छाया प्रसाद ने नये वर्ष के साथ राम का अभिनंदन भी करते हुए रचना पढी थी। स्वागत में हम रामलला के ढोल मृदंग बजायेगेः. नये साल में रामलला के खुशियां आज मनायेंगे।


अगली कविता पुणे से जुड़ी वरिष्ठ कवयित्री किरण सिन्हा की रही। नववर्ष के स्वागत में किरण सिन्हा के सस्वर गाये गीत ने समां बांध दिया बिखरें खुशियां हर आंगन में.मिट जायें सब गम। स्वागतम सुस्वागतम नववर्ष तुम्हारा स्वागतम। गोष्ठी की काव्य परंपरा को आगे बढाते हुए वरिष्ठ रचनाकार रेणुबाला मिश्र ने समाज को नववर्ष हेतु नये विश्वास और संकल्प की बात की। बीते समय की गलतियां न दुहरायें बार बार. संकल्प के इन शब्दों का करते हम वंदन हैं.नववर्ष के.नव विहान का करते हम अभिनंदन हैं।

 



कोकिंग कंठी गायिका सुधा अग्रवाल की गीतरचना ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। नवल.गीत. नवल ताल.नव लय से सज्जित करते हैं। बीते साल के अनुभवों से नये साल का स्वागत करते हैं। अगली प्रस्तुति कवयित्री पद्मा मिश्रा की थी जिनकी रचना ने नववर्ष में नयी उम्मीद और हौसलों की बात करते हुए न्यायालय वर्ष का स्वागत की रीत बदल देने की बात कही। चलो .इस साल कोई बात उठाई जाये ..बदले मौसम में कोई रात बिताई जाये। जश्न का दौर बहुत हो चुका.अब तो संभलो..अब इस दौर को गीता भी सुनाई जायें।


अगली प्रस्तुति वरिष्ठ कवयित्री आरती श्रीवास्तव जी की थी। धन्यवाद है आपका लिया प्रेम से नाम .धन्य धन्य मैं आज हूं सुभग सजा है धाम। भाव प्रवण कवयित्री डा मीनाक्षी कर्ण ने  नववर्ष का अभिनंदन करते हुए  प्रस्तुति दी। आया नववर्ष है, नव किरण.नव विहान फूट रही धरा पर..चहुंओर और  लेकर संदेश उर्जा. उत्साह का। भाव बोध और मधुर स्वरों का अपूर्व संगम कवयित्री डा  मनीला कुमारी ने अपनी रचना सस्वर पढी। स्वागत है नववर्ष तुम्हारा लाये हो उमंग ढेर सारा.नूतन लगती है.धरा.आंचल में फूलों ने रंग है भरा।


अंतिम प्रस्तुति में आशु कवयित्री एवं मंच संचालिका इंदिरा पाण्डेय ने कहा नये वर्ष में चलो कुछ ऐसा करें। दरवाजे जिम्मेदारियों के कुछ देर बंद कर दें हम..सफर पर चलें। कार्यक्रम की अंतिम कडी के रुप में सभी सदस्यों को नववर्ष की शुभ कामनाए देते हुए संस्था की संस्थापक संरक्षक एवं वरिष्ठ कवयित्री आदरणीय आनंद बाला शर्मा की गरिमामय उपस्थिति ने पटल को गौरवान्वित किया। धन्यवाद ज्ञापन संस्था की उपाध्यक्ष रेणुबाला मिश्र ने किया और इंदिरा जी के कुशल संचालन ने कार्यक्रम को सफल बनाया।

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