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विद्या के देवी सरस्वती जिस मस्तिष्क में विराजमान होती है वह सभी गुणों से सुशोभित हो जाता है : हरेलाल महतो, The brain in which Goddess Saraswati resides is adorned with all the virtues: Harelal Mahato.


चांडिल : पांच दिवसीय ऐतिहासिक हारुडीह मेला का हुआ शुभारंभ 

चांडिल। प्रखंड के हारुडीह में आज से पांच दिवसीय ऐतिहासिक सांस्कृतिक मेला का शुभारंभ हुआ। शुक्रवार देर शाम को रंगारंग कार्यक्रम का शुभारंभ आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव हरेलाल महतो ने फीता काट कर किया। इस अवसर पर आजसू केंद्रीय महासचिव रविशंकर मौर्या, केंद्रीय सचिव सत्यनारायण महतो, जिलाध्यक्ष सचिन महतो, प्रखंड अध्यक्ष दुर्योधन गोप, मेला कमेटी के सचिव लक्ष्मीकांत महतो, कृष्णा महतो, सनत महतो, नरेन महतो आदि मौजूद रहे। मौके पर आजसू नेता हरेलाल महतो ने कहा कि सरायकेला खरसावां जिला अंतर्गत चांडिल प्रखंड के हारुडीह गांव में सार्वजनिक सरस्वती पूजा कमेटी हारुडीह - धातकीडीह द्वारा 1911 ई0 में माता सरस्वती की मंदिर स्थापना किया गया है। 


सरस्वती पूजा के दो दिन बाद शुरू होने वाली यहां के पांच दिवसीय मेला झारखंड, पश्चिम बंगाल एवं ओड़िशा राज्य में ख्याति प्राप्त है। तीन राज्यों के लाखों श्रद्धालु मेला में आते हैं और माता सरस्वती के चरणों में माथा टेक कर विद्या बुद्धि ज्ञान का आशीर्वाद लेते हैं। मेला में विभिन्न भाषाओं के रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम, संथाली ड्रामा आदि आकर्षण का केंद्र होता है। उन्होंने कहा कि विद्या की देवी माँ शारदा जिस मस्तिष्क में विराजमान होती है, वह सभी गुणों से सुशोभित हो जाता है, और समस्त संसार में उसकी ख्याती बढ़ती है। 


पूजा व मेला कमेटी के सचिव लक्ष्मीकांत महतो ने बताया कि पूर्वजों द्वारा शुभारंभ किया गया सरस्वती मेला आयोजन का परंपरा को सैकड़ों वर्षों से मनाते आ रहें हैं। मेला में विभिन्न भाषाओं के सांस्कृतिक कार्यक्रम का संगम श्रद्धालु और दर्शकों के लिए आस्था व आकर्षण रहता है। हरेलाल महतो ने कहा कि ऐसे हारुडीह, जयदा, छाता पोखर आदि प्राचीन मेला की वजह से हमें अपने सांस्कृतिक विरासत का दर्शन होता है, ऐसे मेले का संरक्षण भी जरूरी है।


तापती महतो के झुमूर गीतों ने दर्शकों को किया मोहित : झाड़ग्राम के सुप्रसिद्ध झूमूर गायिका तापती महतो के झुमूर दल ने दर्शकों को मोहित किया। तापती के कर्णप्रीय सुरों से बंगला, संथाली गीतों से दर्शक झूम उठे। तापती के 'परदेशी बंधु आमार निये गेले मन आर भालोबासे दीबो तोके जीवन ओ यौवन, ओ आमार सोना रे भलोबासे करीस ना छल ओ साथी रे आमी आछी आसाय तोर एतो दिनेर भाव ताओ भाबो केनो पर पाछे बंधु छाड़े जाबे मन लागे डर' आदि गीतों ने महफिल में बंधा।

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