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सिदगोड़ा सूर्यमंदिर मे आयोजित श्रीराम कथा मे वनगमन एवं केवट प्रसंग के मार्मिक वर्णन से नम हुई श्रद्धालुओं की आंखें, The eyes of the devotees became moist due to the poignant description of the incident of exile and Kevat in Shri Ram Katha organized at Sidgora Surya Mandir.


जमशेदपुर। सिदगोड़ा सूर्य मंदिर कमिटी द्वारा श्रीराम मंदिर स्थापना के चतुर्थ वर्षगांठ के अवसर पर सात दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के छठे दिन कथा प्रारंभ से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के बीच राकेश चौधरी, अखिलेश चौधरी, देवानंद सिंह, शैलेश गुप्ता, पुष्पेंद्र सिंह एवं छक्कन चौधरी ने सपत्नीक व्यास पीठ एवं व्यास का विधिवत पूजन किया गया। पूजन पश्चात श्री अयोध्याधाम से पधारे मर्मज्ञ कथा वाचिका पूज्य पंडित गौरांगी गौरी जी का स्वागत किया गया। स्वागत के पश्चात कथा व्यास पंडित गौरांगी गौरी ने पंडाल में उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के समक्ष श्रीराम कथा के छठे दिन सीता-राम विवाह और श्रीराम वनगमन का मार्मिक प्रसंग सुनाया। 


श्रीराम कथा के छठे दिन पूज्य पंडित गौरांगी गौरी जी ने भगवान श्रीराम द्वारा धनुष भंग, परशुराम, लक्ष्मण संवाद एवं श्री राम विवाह, राम वन गमन एवं केवट प्रसंग वर्णन से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। 'दसरथ राज कुमार नजर तोहे लग जायेगी एवं आज मिथिला नगरिया निहाल सखियाँ' भजन पर श्रद्धालु जमकर झूमे। कथा में आगे बढ़ते हुए पंडित गौरी जी ने कहा कि राम विवाह एक आदर्श विवाह है। तुलसीदास ने राजा दशरथ, राजा जनक, राम व सीता की तुलना करते हुए बताया है कि ऐसा समधी, ऐसा नगर, ऐसा दुल्हा, ऐसी दुल्हन की तीनों लोक में कोई बराबरी नहीं हो सकती। 


पूज्य पंडित गौरांगी गौरी जी ने कहा कि विश्वामित्र श्रीराम को जनकपुरी की ओर ले गये जहां पर सीता स्वयंवर चल रहा था। कथा बताते हुए कहा कि राजा जनक ने अपनी बेटी के स्वयंवर के लिए एक प्रतिज्ञा रखी कि जो शिव पिनाक को खंडन करेगा वो सीता से नाता जोड़ेगा। श्रीराम ने विश्वामित्र की आज्ञा पाकर धनुष को तोड़ दिया। धनुष टूटने का पता चलने पर परशुराम का स्वयंवर सभा में आना एवं श्रीराम-लक्ष्मण से तर्क-वितर्क करके संतुष्ट होना कि श्रीराम पूरे विश्व का कल्याण करने में सक्षम है। समाज की जो जिम्मेदारी परशुराम ने ले रखी थी उससे दुष्ट राजाओं को भय था। परशुराम ने वह सामाजिक जिम्मेदारी श्रीराम को सौंप दी एवं स्वयं अपने आराध्य के भक्ति में लीन हो गये। कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए पंडित गौरांगी गौरी ने कहा कि राजा जनक ने राजा दशरथ को बारात लाने का न्यौता भेजा एवं राजा दशरथ नाचते-गाते हर्षित होकर बारातियों सहित जनकपुरी पहुंचे। 


बारात की भूमिका में सूर्य मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने बारात में शामिल होकर उपस्थित श्रोता जनसमूह के साथ खूब भावपूर्ण होकर नाचे गाये। कथा में सीता-राम स्वंयवर का मनोरम झांकी के माध्यम से वर्णन किया गया। आगे राम कथा में मां सीता की बिदाई हुई। उन्होंने कहा कि जनकपुर से जब सीताजी की बिदाई हुई तब उनके माता-पिता ने उन्हें ससुराल में कैसे रहना है इसकी सीख दी। प्रत्येक माता-पिता को अपनी पुत्री के विवाह के समय ऐसी ही सीख देनी चाहिए। आगे कथा में श्रीराम वनगमन का वर्णन करते हुए पूज्य पंडित गौरांगी गौरी ने कहा कि राम और भरत ने संपत्ति का बंटवारा नहीं किया बल्कि विपत्ति का बंटवारा किया। राजा दशरथ ने कैकई को वचन तो दे दिया पर उसके बाद वे निःशब्द होकर रह गए। रघुकुल की मर्यादा के लिए उन्होंने अपने प्रिय पुत्र का वियोग स्वीकार कर लिया। कथा व्यास पंडित गौरांगी गौरी ने कुसंगति को हानिकारक बताया। कहा कि मन्थरा दासी की कुसंगति के कारण ही कैकई की मति मारी गई और उसने राम के राज्याभिषेक से ठीक पहले उनके लिए वनवास मांग लिया। श्रीराम ने पिता के वचन का मान व कुल की मर्यादा रखने के लिए इसे सहर्ष स्वीकार कर लिया और वन को प्रस्थान किया। इस दौरान रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई भजन पर श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गयी। वनगमन के दौरान रास्ते में केवट ने श्रद्धा भाव से भगवान राम के पैर धोए थे।


साथ ही उन्हें गंगा पार कराई। बदले में केवट ने उनसे भवसागर पार कराने का वरदान मांग लिया। भगवान के चरण धोकर केवट की पीढ़ियां तर गईं। राम कथा के अंतिम दिन श्रीराम जी के राज्याभिषेक से श्रीराम कथा का विश्राम होगा। इस दौरान मंच संचालन सूर्य मंदिर समिति के वरीय सदस्य राकेश सिंह ने किया। कथा के दौरान अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह, रामबाबू तिवारी, रीता मिश्रा, टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष गुरमीत सिंह तोते, महामंत्री आरके सिंह, अनिल शर्मा, टीएसडीपीएल के जीएम अश्विनी कुमार, ओपी राव, भरत वसानी, हरिकिशोर तिवारी, मुकेश मित्तल, विकास सिंह, अखिलेश पांडेय, अमित अग्रवाल व उनकी पूरी टीम, ज्ञान प्रकाश, हेमंत साहू, अजय कुमार, इंदरजीत सिंह, अमरजीत सिंह राजा, शैलेश गुप्ता, शशिकांत सिंह, रूबी झा, बंटी अग्रवाल, कृष्ण मोहन सिंह, प्रेम झा, प्रमोद मिश्रा, मिथिलेश सिंह यादव, दिनेश कुमार, गुंजन यादव, खेमलाल चौधरी, सुशांत पांडा, पवन अग्रवाल, राकेश सिंह, संतोष ठाकुर, नारायण पोद्दार, चिंटू सिंह, रॉकी सिंह, कुमार अभिषेक, गौतम प्रसाद, मुकेश शर्मा, कौस्तव राय, मीरा झा, राकेश राय, अनिकेत सिंह, राहुल सिंह, सतीश सिंह, साकेत कुमार, मुकेश कुमार, धनेश्वर सिंह समेत अन्य मौजूद रहे।

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