चक्रधरपुर। पश्चिमी सिंहभूम जिले के बंदगांव लांडूपोदा पंचायत अंतर्गत मतकमबेड़ा गांव नीचे टोला में हर्षोल्लास के साथ मागे पर्व मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि समाजसेवी डॉ.विजय सिंह गागराई थे। गांव के दिऊरी कोंदलो बोदरा एवं कमल बोदरा ने मां बूरु देशाउली देवी देवता से गांव में कोई आपदा नहीं आए और गांव की सुख शांति की कामना की। पूजा पाठ के बाद गांव के बच्चे-बूढ़े एवं महिलाओं ने मांदर की थाप पर जमकर हो नृत्य किया।
गांव में मागे पोरोब को लेकर गांव के छोटे-छोटे बच्चे,महिलाएं काफी उत्साहित है। सभी लोगों ने नए कपड़े पहन कर धूमधाम से मागे पोरोब मनाया। मौके पर डॉ विजय सिंह गागराई ने कहा कि मागे परब झारखण्ड के आदिवासी समुदाय का एक पारंपरिक पर्व है। यह त्यौहार माघ महीने की शुरुआत यानी जनवरी-फरवरी में मनाया जाता है, जो आदि धर्म व संस्कृति एंव मानव उत्पत्ति यानी सृष्टि रचना का पर्व है। उन्होंने कहा अपना भाषा एवं संस्कृति बचाने के लिए मागे पोरोब के दिन गांव में डीजे बजाने पर पुरी तरह से पाबंदी होनी चाहिए।
आदिवासी संस्कृति को बचाने के लिये आदिवासी बहुल गांव में हमारी संस्था पीपुल वेलफेयर एसोसिएशन एक जोड़ी मांदर एवं नगाडा निःशुल्क दिया जा रहा है। जिससे आदिवासी समाज हर्षोल्लास के साथ मागे पर्व मना सके.कार्यक्रम के पूर्व ड़ॉ. विजय सिंह गागराई ने गांव में एक जोड़ी मांदर एवं नगाड़ा तथा वस्त्र देकर मानकी, मुंडा एवं दिऊरी वरी को सम्मानित किया। कार्यक्रम में गांव के लोगों ने ड़ॉ विजय सिंह गागराई को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया.देर रात तक सामुहिक रूप से मागे गीत पर सामुहिक नृत्य हुआ। इस मौके पर अमर बोदरा, सत्यम सामड,त्रिभुवन सामड,संजीव सामड,सुधीर सामड,बुलेट सामड समेत काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।
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