चांडिल। अनुमंडल क्षेत्र में स्थित दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के नीमडीह थाना क्षेत्र में पड़ने वाले कुछ हिस्से में आग लग गई है। इस आग से ऊपर पितकी, बातकोमकोचा, तनकोचा के आसपास के जंगलों में दो दिनो से आग के कारन वन्य जीवजंतु जंगल छोड़कर तराई की ओर भाग रहे हैँ। यह आग प्रत्येक वर्ष लगती है जिससे जीव जंतु का पलायन शुरु हो जाता है। गर्मी के दस्तक देते हीं जंगल में आग लगना शुरू हो गया।
आग लगने से कई प्रजाति के बहुमूल्य पौधे जल जाते हैँ। साथ ही हाथी की पौष्टिक भोजन जैसे घास, दूधीलता, शाल के पेड़, गलगल, पाईजन का पेड़ प्रति बर्ष नष्ट हो जाता हैँ जिसके कारण हाथियों का झुंड इस आश्रयणी से विगत तीन वर्षो से नदारद है। प्रत्येक वर्ष हाथियों की गणना भी होती है। परंतु गजराज का झुंड नही रहने पर वन विभाग द्वारा गणना में हाथी की उपस्थित नहीं दिखा पाते हैँ।
भीषण गर्मी के समय आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग द्वारा फायर वाचार का कई टीम बनाया गया जिसके द्वारा आग पर काबू पाने के लिए काम किया जाता है। गर्मी के दौरान कई तालाब और जल स्रोत सूखने लग जाते हैँ। जिससे छोटे बड़े वन्य प्राणी को पानी और भोजन की तलाश रहती है। इस वन्य प्राणी आश्रयणी में पौष्टिक भोजन पर्याप्त मात्रा में नही मिलने के कारण कई वर्षो से हाथियों का झुंड आश्रयणी से भटक कर दलमा पर्वत श्रृंखला से सटे छोटे बड़े जंगल में आश्रय लिए हुए हैँ।
आग धू धू करते हुए जंगल की तराई में बसे बहुल आदिवासी गांव डुमरडीह, ऊपर पितकी गांव में प्रवेश कर गया जिसे स्थानीय लोग भयभीत रहने लगा। वन विभाग को सूचना देने के बाबजूद फायर वाचार को टीम को नही भेजा। केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा वन एवं पर्यावरण विभाग को करोड़ों रूपए जंगल और जंगली जीव जंतु की संरक्षण के लिए मुहैया कराया जाता है। लेकिन धरातल पर कुछ दिखाई नहीं देता है।
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