चाईबासा। झारखंड सरकार में झारखंड मुक्ति मोर्चा से मंत्री दीपक बिरुवा, सहित अन्य नेता लगातार जनसंपर्क अभियान में आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा संविधान और आरक्षण को खत्म कर रही है, आखिर मंत्री दीपक बिरुवा जी किस बुनियाद पर ऐसी बातें कर रहे हैं? संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति जो कि खुद आरक्षण के कारण ही विधायक और मंत्री बने हैं,अपनी संवैधानिक जिम्मेवारी का निर्वाहन न करते हुए भोले भाले जनजातीय समुदाय को बरगलाय,यह बिल्कुल अनुचित हैं।
संविधान द्वारा प्रदत्त संवैधानिक अधिकार आरक्षण अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग को प्राप्त है,भाजपा पिछले 10 वर्ष से केंद्र की सत्ता में है और अनुसूचित जनजाति अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के संवैधानिक अधिकार एवं संविधान की रक्षा की लड़ाई निरंतर लड़ रही है, भाजपा ने अनुसूचित जनजाति की महिला को राष्ट्रपति बनाने का काम किया जो की तीनों सेना का प्रमुख भी है।अगले वर्ष भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जन्म-जयंती है। बीजेपी ने संकल्प लिया है कि 2025 को जनजातीय गौरव वर्ष के रूप में मनाया जाएगा।छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री और ओबीसी मुख्यमंत्री भाजपा के द्वारा बनाए गए हैं।
भाजपा ने अनुसूचित जनजातियों के भावना के अनुरूप अलग झारखंड राज्य का निर्माण भी किया, केंद्र में भाजपा की सरकार ने आदिवासी कल्याण मंत्रालय बनाया और बजट में अलग से धनराशि की व्यवस्था की गई, तब किस आधार पर माननीय मंत्री दीपक बिरुवा कहते हैं कि भाजपा आरक्षण को खत्म करेगी? झारखंड मुक्ति मोर्चा के झारखंड में चार बार मुख्यमंत्री रहे,पर इनके नियत में खोट है ,इसीलिए आरक्षण और स्थानीयता जैसे मुद्दे लटका कर रख दिया और कोई काम नहीं किया। निजी क्षेत्र में 75% आरक्षण की बात करने वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा बताएं कितने लोगों को निजी कंपनियों में आरक्षण के तहत नौकरियां दिलवाने का काम किया है। अब जब चुनाव नजदीक है इसी तरह के भावनात्मक मुद्दे को हथकंडा अपना कर जनता को दिग्भर्मित कर रहे हैं, झारखंड मुक्ति मोर्चा के द्वारा जानबूझकर ऐसी नीति बनाई गई।
जिसका कोई संवैधानिक आधार नहीं,चाहे आरक्षण का मामला हो या स्थानीयता का। स्थानीय नीति लागू नहीं होने का कुपरिणाम यह हुआ कि बिहार उड़ीसा और बंगाल के लोग शिक्षक बहाली प्रक्रिया में भाग लेकर झारखंड में शिक्षक बन गए, यहां के लोगों का आरक्षण खत्म करने का काम झारखंड मुक्ति मोर्चा ने किया है । खेल विभाग सहित कई विभाग में जो नौकरियां दी गई स्थानीय नीति घोषित नहीं किए जाने के कारण बाहर के प्रदेशों के लोगों को भी नौकरी झारखंड में आसानी से मिल जा रही है, झारखंडियों का हक झारखंड मुक्ति मोर्चा के गलत नीतियों के परिणाम स्वरूप मारा जा रहा है।अभी तक चुनावी घोषणा पत्र भी जारी नहीं किया है, नीति और नियत के अभाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता जनता के बीच मिथ्या प्रलाप कर रहे हैं।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के लोग अवैध खनन में लिप्त है और चहेते को ठेका टेंडर के माध्यम से धन उगाही की लालसा में डूबे हैं, चुनावी समय में आरक्षण और संविधान याद आ रहा है। उक्त बातें पूर्व मंत्री बड़कुवर गागराई ने मंत्री दीपक बिरुआ द्वारा लगातार आरक्षण और संविधान संबंधी भाजपा पर आरोप चुनावी कार्यालय उद्घाटन समारोह में बोले जाने के संदर्भ में प्रतिक्रिया स्वरूप कही गई है।
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