चक्रधरपुर। पश्चिमी सिंहभूम जिले के बंदगांव प्रखंड में जनजाति समुदाय ने परंपरानुसार शनिवार को हर्षाेल्लास के साथ सरहुल पर्व मनाया। इस मौके पर आदिवासियों ने सामूहिक नृत्य कर आदिवासी परम्परा का जीवंत उदाहरण पेश किया.बंदगांव प्रखंड के लुम्बई के सरना स्थल पर प्रकृति पूजा के बाद सरहुल की शोभायात्रा शुरू हुई। शोभा यात्रा ढोल नगाडा के साथ शुरू किया गया। शोभा यात्रा रांची-चाईबासा मुख्य पथ होते हुए बिरसा हाईस्कूल मैदान पहुंची। यहां पाहन द्वारा पूजा-अर्चना की गई। घर-परिवार में शांति, मवेशियों के निरोग रहने व आपसी भाईचारे की कामना के साथ सरहुल के अवसर पर सिंगबोंगा की पूजा-अर्चना की गई।
मौके पर कार्यक्रम में समाजसेवी डॉ विजय सिंह गागराई, बंदगांव मुखिया करम सिंह मुंडरी, मेरमगुटु मुखिया चिरपी बोदरा एवं स्वनियाँ मुखिया रजनी पुष्पा मुंडरी मुख्य रूप से शामिल थे। इस मौके पर डॉ विजय सिंह गागराई ने कहा कि यहां के आदिवासी परम्परानुसार सैकड़ों वर्षो से सरहुल मनाते आ रहे हैं। सरहुल के अवसर पर हजारों लोगों का एक जगह आपसी मतभेद को भुलाकर एकत्र होना सराहनीय है।
हमें आपसी मतभेद को भुलाकर अपनी एकजुटता को कायम रखना होगा। उन्होंने कहा कि सरहुल पर्व प्रकृति से जुड़ा हुआ बहुत प्यारा त्योहार है। यह त्योहार सौ वर्षों से जनजातियों द्वारा मनाया जा रहा है और आज भी बरकरार है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय के लोग लाखों वर्षों से निवास करते आ रहे हैं। सरहुल पर्व मानव प्रकृति का पराम्परागत सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते आ रहे हैं।
हमारे जनजातीय समुदाय के लोग प्राकृतिक पूजा पाठ को संयोजते हुये आ रहे हैं। इसलिए आज के नये युवा पीढ़ी के लोग बरकरार बनाये रखें। उन्होंने कहा सरहुल पर्व प्रकृति में अपने जीवन का एक सौंदर्य पूर्ण संबंधों को समेटे हुए एक नये साल की शुरुआत करता है। उन्होंने पूरे जिला वासियों को सरहुल पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएं और बधाई दी।
सरहुल के अवसर पर पूरा बंदगांव क्षेत्र सरहुल के झण्डे से पट गया था। सरहुल के मौके पर वृद्ध, जवान, बच्चे व महिलाएं सभी मांदर की थाप पर थिरकते नजर आए। सरहुल के मौके पर एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर लोगों ने बधाई दी। इस अवसर पर मुख्य रूप से अध्यक्ष प्रेम मुंडरी, उपाध्यक्ष जादोराय मुंडरी, नंदू मुंडरी, सचिव जगरनाथ मुंडरी, टीपू मुंडरी, कोषाध्यक्ष चरण मुंडरी, मनीराम मुंडू, राजेंद्र मछुआ, संरक्षक रास बिहारी सिंह मुंडा, जोवोर मुंडा, लेम्सा मुंडा, बुधवा मुंडा, पतरस मुंडा, विष्णु मुंडरी, मंगल सिंह मुंडा समेत अन्य लोग उपस्थित थे।
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