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मासिक लोक अदालत में 246 मामलों का हुआ निष्पादन, एक लाख छियानवे हजार नौ सौ रुपए राशि का हुआ समायोजन, 246 cases were executed in Monthly Lok Adalat, adjustment of amount of one lakh ninety-six thousand nine hundred rupees was made,


चक्रधरपुर। जिला विधिक सेवा प्राधिकार पश्चिमी सिंहभूम के तत्वावधान में स्थानीय सिविल कोर्ट परिसर में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विश्वनाथ शुक्ला की अध्यक्षता में मासिक लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस दौरान गठित कुल 11 बैंचों में मामलों की सुनवाई करते हुए कुल 246 वादों का सफल निष्पादन किया गया तथा एक लाख छियानवे हजार नौ सौ रुपए (196900/– रुपए)  की राशि का समायोजन भी हुआ।



प्राधिकार के सचिव  राजीव कुमार सिंह ने बताया कि मासिक लोक अदालत विभिन्न प्रकार के वादों को सुलझाने का एक सक्षम और सुलभ माध्यम है जिसमें लोग अपने सुलहनीय मामलों के त्वरित निष्पादन के लिए अपील कर सकते हैं लोक अदालत के माध्यम से  मामलों का त्वरित निष्पादन किया जा सकता है, उन्होंने आगे बताया कि आज के लोक अदालत में न्यायिक पदाधिकारियों योगेश्वर मणि, प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय,  ओम प्रकाश, जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम, एस बी ओझा, जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय, लक्ष्मण प्रसाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ, विनोद कुमार, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी,  राजीव कुमार सिंह, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकार,  एंजिलिना नीलम मडकी, न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, मंजीत कुमार साहू, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी पोड़ाहाट,  सुप्रिया रानी तिग्गा, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सदर, अंकित कुमार सिंह रेलवे न्यायिक दंडाधिकारी,  पूजा पांडेय, न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी के द्वारा मामलों का निष्पादन किया गया। उपरोक्त जानकारी प्राधिकार के सचिव राजीव कुमार सिंह ने दी।


रैफरल जजों और मध्यस्थो के मध्य जागरूकता कार्यक्रम आयोजित : झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार रांची के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार पश्चिमी सिंहभूम के तत्वावधान में कोर्ट परिसर स्थित मीटिंग हॉल में न्यायिक पदाधिकारियों और मध्यस्थ अधिवक्ताओं के बीच आवश्यक बैठक का आयोजन किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य मध्यस्थता के माध्यम से मामलों के निष्पादन को सुलभ और सहज बनाना था।


कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम विश्वनाथ शुक्ला ने न्यायिक प्रक्रिया में मध्यस्थता की भूमिका की विशेषताओं का वर्णन किया तथा इसके और प्रभावी बनाने पर चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन करते हुए सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार राजीव कुमार सिंह ने बताया कि यह विवाद सुलझाने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा मध्यस्थ (मीडिएटर) निष्प्रभावी एवं निर्विकार व्यक्ति के रूप में, विवाद ग्रस्त पक्षकारों को एक ऐसे समझौते के लिये तैयार करता है जिस पर पक्षकारों की सहमति होती है।


 प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय श्री योगेश्वर मणि ने न्यायिक प्रक्रिया में मध्यस्थता की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए इसे किसी भी मामले के सकारात्मक निष्पादन की एक महत्वपूर्ण कड़ी बताया। मौके पर उपस्थित अधिवक्ताओं ने भी अपने विचार रखें, बैठक में  सभी न्यायिक पदाधिकारीगण, बार के सचिव अगस्टिन कुल्लू और अधिवक्तागण शामिल थे। उपरोक्त जानकारी प्राधिकार के सचिव राजीव कुमार सिंह ने दी।



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