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मधुसूदन महतो उच्च विद्यालय आसनतलिया, चक्रधरपुर एवं मधुसूदन मेमोरियल एडुकेशनल सोसाइटी आसनतलिया के संस्थापक सदस्य राजकिशोर महतो का आकस्मिक निधन, विद्यालय परिसर में शौक की लहर, Sudden demise of Rajkishore Mahato, founder member of Madhusudan Mahato High School Asantalia, Chakradharpur and Madhusudan Memorial Educational Society Asantalia, wave of interest in the school campus,


 चक्रधरपुर। मधुसूदन महतो उच्च विद्यालय आसनतलिया, चक्रधरपुर एवं मधुसूदन मेमोरियल एडुकेशनल सोसाइटी आसनतलिया के संस्थापक सदस्य 74 वर्षीय राजकिशोर महतो का उनके पैतृक आवास में कल रात्रि करीब 9:00 बजे  में आकस्मिक निधन हो गया है। वे लंबे समय से बीमार थे । उनका आसमायिक निधन से मधुसूदन विद्यालय परिवार शोकाकुल है। 




उनके निधन पर विद्यालय में एक शोक सभा का आयोजन कर छात्र-छात्राएं, विद्यालय प्रबंधन समिति के सचिव  श्याम सुंदर महतो सह सचिव गणेश्वर महतो, कोषाध्यक्ष  ओमप्रकाश महतो, विद्यालय के निदेशक लक्ष्मण महतो, प्राचार्य प्रशांत तिवारी उप प्राचार्य बसंत कुमार महतो एवं शिक्षक शिक्षिकाओं ने दो मिनट का मौन धारण कर उनकी दिवंगत आत्मा की शांति एवं उनके परिवार को इस दु:खद घड़ी में सहनशक्ति प्रदान करने की ईश्वर से कामना किए। 


इसी के साथ विद्यालय की सभी कक्षाएं स्थगित करते हुए 9 जून तक विद्यालय में ग्रीष्मकालीन अवकाश की घोषणा कर दी गई। विद्यालय प्रबंधन समिति के सचिव श्री श्याम सुंदर महतो ने उनकी असामयिक निधन को अपूर्णीय क्षति बतलाया है। उन्होंने कहा कि राज किशोर महतो शांत, सुशील एवं मृदुभाषी व्यक्तित्व के धनी थे। वे शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक उत्थान के प्रति हमेशा सजग रहे। व लंबे समय तक शिक्षण कार्य से जुड़े रहे। उन्होंने अपना शिक्षक जीवन जमुई, मुंगेर से प्रारंभ करते हुए विभिन्न विद्यालयों में कार्यरत रहे। 


जमुई से स्थानांतरित हो कर उन्होंने कराईकेला उच्च विद्यालय कराईकेला,उच्च विद्यालय बौड़ाम पटमदा, बालिका उच्च विद्यालय खूंटी एवं पुरनिया उच्च विद्यालय पुरनिया में कार्यरत रहे । सन 2010 के जनवरी में पुरनिया उच्च विद्यालय पुरनिया से प्रधानाध्यापक के पद से सेवानिवृत हुए। वे अर्थशास्त्र, अंग्रेजी एवं कुड़माली के अच्छे ज्ञाता थे।  वे अपने पीछे एक भरा- पूरा संयुक्त परिवार छोड़ गए। 




जिसमें पत्नी के अलावे दो पुत्र अभिषेक कुमार महतो एवं मिथुन महतो, दो पुत्री एवं दो भतीजे पंकज कुमार महतो और प्रेम किशोर महतो (दोनों सरकारी शिक्षक) हैं। वे हमेशा दीन - दुखियारियों के मददगार रहे । उनके घर में रहकर बहुत से विद्यार्थियों ने पढ़कर अपना जीवन संवारा। उनका झारखंड कुड़माली भाषा विकास के उत्थान में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा । उनका असामयिक निधन शिक्षा जगत एवं समाज के लिए एक अपूर्णीय क्षति है।



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