गुवा। सेल की मेघाहातुबुरु लौह अयस्क खदान में लौह अयस्क का भंडार खत्म होने के बाद निरंतर बिगड़ती स्थिति के मद्देनजर प्रबंधन ने खदान का उत्पादन लक्ष्य 3.7 मिलियन टन से घटाकर 2.5 मिलियन टन कर दिया है। मेघाहातुबुरु खदान में सबसे अधिक 4.4 मिलियन टन उत्पादन होता था। खदान की खराब होती स्थिति के बाद 3.7 मिलियन टन एवं अब 2.5 मिलियन टन किया गया। अगर यही स्थिति रहा तो वर्ष 2025 में यहां का उत्पादन लक्ष्य घटकर एक मिलियन टन से भी कम हो जायेगा, अर्थात बंदी के कगार पर होगा। लक्ष्य घटाने के बाद सेलकर्मियों की चार रविवार की ड्यूटी में से दो की कटौती की गई।
प्रबंधन महीना में पहले और तीसरे रविवार को ड्यूटी देने पर राजी हुआ। अगर किसी महीना में पांच रविवार आता है तो अंतिम रविवार को भी ड्यूटी देने की बात कही गई है। इससे प्रत्येक सेलकर्मियों को कम से कम 5-7 हजार रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा। इस मामले को लेकर मेघाहातुबुरु के सीजीएम आरपी सेलबम ने महाप्रबंधक (पीएंडए) विकास दयाल तथा तमाम मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। बैठक में मेघाहातुबुरु खदान और लौह अयस्क की स्थिति से अवगत कराते हुए इस विकट स्थिति में सहयोग मांगा। सेलकर्मियों ने भी स्थिति को देखते हुए प्रबंधन को पूरा सहयोग का भरोसा दिया है।
उल्लेखनीय है कि मेघाहातुबुरु का सेंट्रल व किरीबुरु का साउथ ब्लॉक पहाड़ी का लीज के लिए दोनों प्रबंधन पिछले 10 वर्षों से प्रयासरत है, लेकिन केन्द्र सरकार ने सारंडा जंगल में निवास करने वाले वन्यप्राणियों की सुरक्षा व संरक्षण से जुड़ी वन्यजीव संरक्षण प्लान को लेकर फाइल क्लियर नहीं कर हर बार एक नया सवाल खड़ा कर वापस कर दे रही है। इस कारण दोनों खदानों की स्थिति निरंतर खराब होती जा रही है। खासकर मेघाहातुबुरु खदान की स्थिति दयनीय हो गई है एवं यह खदान बंद होने के कगार पर पहुंच गई है।
मजदूर नेता अफताब आलम ने कहा कि केन्द्र सरकार सेल की किरीबुरु, मेघाहातुबुरु आदि पब्लिक सेक्टर की लाभ वाली खदानों को एक साजिश के तहत बंद करना चाहती है, ताकि इसे प्राइवेट कंपनियों को दे सके। लेकिन हमलोग केन्द्र सरकार की ऐसी मंशा को सफल नहीं होने देंगे।
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