Jamshedpur (Nagendra) । ग्रैजुएट स्कूल कॉलेज फॉर विमेन में नैक मूल्यांकन की तैयारी करने हेतु आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का आज समापन हो गया। कार्यशाला में कुल छः सत्र रखे गए थे, जिसमें चार तकनीकी सत्र थे। कार्यशाला का प्रारंभ दिनांक 26 नवंबर 2024 को हुआ था जिसमें उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि कोल्हान विश्वविद्यालय के सोशल साइंस डीन डॉ राजेन्द्र भारती, वित्त पदाधिकारी डॉ विनय कुमार सिंह उपस्थित थे। कार्यशाला के प्रथम तकनीकी सत्र में विषय विशेषज्ञ के रूप में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के उप निदेशक डॉ विभा पाण्डेय उपस्थित थीं। उन्होंने नैक मूल्यांकन हेतु नवीन ग्रेडिंग प्रणाली बाइनरी सिस्टम के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही उन्होंने नैक प्रत्यायन और मूल्यांकन की अहमियत के बारे में भी प्रतिभागियों को समझाया। साथ ही केंद्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा उच्च शिक्षा में सुधार और किए जा रहे प्रयासों के बारे में भी विस्तृत चर्चा की।
दूसरे तकनीकी सत्र में संत जेवियर कॉलेज महुआडांड़ लातेहार के प्राचार्य डॉ एम.के.जॉस ने पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के द्वारा नैक मूल्यांकन के निर्धारित सात महत्वपूर्ण मानदंडों के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। साथ ही एस.एस.आर भरने की प्रक्रिया एवं अपने महाविद्यालय में नैक मूल्यांकन के अनुभव को प्रतिभागियों से साझा किया। मालूम हो कि जेवियर कॉलेज महुआडांड़ लातेहार को हाल ही में हुए नैक मूल्यांकन में A+ ग्रेड मिला है। कार्यशाला के दूसरे दिन भी दो तकनीकी सत्र हुए। जिसमें पहले तकनीकी सत्र के विशेषज्ञ के रूप में कोल्हान विश्वविद्यालय के आई.क्यू.एस.सी समन्वयक डॉ एस.के गोराई ने नैक मूल्यांकन हेतु डाटा जेनरेशन, नैक नियमावली, के बारे में पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के द्वारा प्रतिभागियों को विस्तार से बताया। इसके साथ ही उन्होंने कोल्हान विश्वविद्यालय के नैक मूल्यांकन के समय आने वाली बाधाओं एवं उसके सामाधान के लिए किए गए कार्यों का अनुभव साझा किया।
नैक मूल्यांकन के सात प्रमुख मापदंडों में क्रमशः -: शैक्षणिक प्रक्रिया एवं परिणाम, पाठ्यक्रम, शिक्षण अधिगम, संकाय, अनुसंधान, बुनियादी ढांचा और शिक्षण संसाधन शामिल हैं। आज के दूसरे तकनीकी सत्र में विशेषज्ञ के रूप में कोल्हान विश्वविद्यालय के पहले कुलानुशासक प्रो. अमिताभ बोस ने नैक मूल्यांकन में समूह कार्य के महत्व को बताया। उन्होंने लाईकर स्केल के द्वारा छात्रों, अविभावकों और शिक्षकों के अनुभव को लेकर अपनी बातें प्रतिभागियों को बतलाया। इस अवसर पर एक और विशेषज्ञ कोल्हान विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग अध्यक्ष डॉ निर्मला शुक्ला ने एस.एस.आर प्रतिवेदन तैयार करने की विधि और उपलब्ध संसाधनों पर विशेष बल देने की बात कही। इस दो दिवसीय कार्यशाला में विभिन्न महाविद्यालयों के 130 प्रतिभागियों ने सहभागिता की। समस्त कार्यशाला की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ वीणा सिंह प्रियदर्शी ने किया।
कार्यशाला का संचालन डॉ अर्चना सिन्हा और डॉ स्मिता नन्दी ने किया। कार्यशाला का संकलन कर्ता के रुप प्रो. दिप्ती कश्यप ने अपनी भूमिका निभाई। तकनीकी सहयोग में, डॉ सुहिता चटर्जी, डॉ सुनीता बंकिरा, डॉ स्वेता शर्मा, प्रकाश कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कार्यशाला आयोजन को सफल बनाने में की सचिव डॉ बनी श्री डे, सह सचिव डॉ सुशिला हांसदा के देखरेख में महाविद्यालय के सभी शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यशाला में प्रमुख रूप से प्रो. डोरीस दास, प्रो. परिणीती एक्का, डॉ अरुंधती डे, डॉ अनामिका, कुमारी अनामिका, डॉ अनुराधा वर्मा, डॉ संगीता बिरुआ, डॉ विशेश्वर यादव ,डॉ, सुलेखा कुमारी, डॉ, सबीता मिश्रा, डॉ, पूनम रजक, डॉ ज्योति कुमारी, डॉ उषा सिंह, डॉ साधना कुमारी, डॉ नुपुर, डॉ मुक्ता रानी, प्रो. राकेश कुमार पाण्डेय, डॉ कल्याणी झा, डॉ नम्रता कुमारी, डॉ सोनी सिन्हा, श्रीलेखा डे, सुदिप्ता दास , दीपिका कुजुर सहित एन.सी.सी और एन.एस.एस के वोलेंटियर्स शामिल थे।
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