Default Image

Months format

Show More Text

Load More

Related Posts Widget

Article Navigation

Contact Us Form

Terhubung

NewsLite - Magazine & News Blogger Template

Bhopal. स्मार्ट फोन की गुलाम बनती भारत की नौजवान पीढ़ी ,India's young generation becoming slaves of smart phones,


Upgrade Jharkhand News.  देश की युवा पीढ़ी में मोबाइल फोन का क्रेज बड़ी तेजी से बढ़ रहा है जो गंभीर चिंता का विषय है। आज एक बात तो साफ हो गई है कि स्मार्टफोन से कोई खास लाभ नहीं है ,लेकिन आने वाले समय में इसके भयंकर परिणाम अवश्य देखने को मिलेंगे। मोबाइल फोन का प्रयोग जरूरत पड़ने पर तो ठीक है लेकिन बिना मतलब  बार-बार मोबाइल फोन देखना उचित नहीं है। वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि बार-बार स्मार्टफोन को देखना केवल आंखों पर ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है। लेकिन  युवाओं में यह आदत बन चुकी है कि वह बार-बार स्मार्टफोन को बिना वजह देखते हैं।



आज युवा ही नहीं बल्कि बच्चे और बूढ़े भी सोने से पहले रात्रि में एक बार स्मार्टफोन को अवश्य देखते हैं,और सुबह उठते ही सबसे पहला काम मोबाइल देखना होता है। देखने में आया है कि आजकल पेरेंट्स भी छोटे-छोटे बच्चों को मोबाइल पकड़ा कर उन्हें मोबाइल का नशेड़ी बना रहे हैं, इससे लोगों में मोबाइल की बीमारी बढ़ रही है और लोग मोबाइल फोन के गुलाम बनते जा रहे हैं। पंजाब के कुछ प्राइवेट दफ्तरों ने मोबाइल फोन के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है, उन्हें ड्यूटी समय में मोबाइल इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है। कई धार्मिक संस्थाओं ने महीने में एक बार मोबाइल व्रत रखने का सुझाव दिया है जो अति प्रशंसनीय कदम है। महीने में एक दिन धार्मिक संस्थाओं के सभी लोग मंदिर में अपना मोबाइल फोन जमा करवाएंगे और पूर्ण रूप से मोबाइल व्रत रखेंगे। 



एक कंज्यूमर सर्वे के अनुसार पंजाबी लोग एक दिन में 50-50 बार मोबाइल देखते हैं। यहां शहरों में लोग ज्यादा स्मार्टफोन का प्रयोग करते हैं वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में जिनके बच्चे विदेश में बसे हैं, वह दिन में एक बार बच्चों से बातचीत अवश्य करते हैं। आशिकी करने वाले नौजवान  स्मार्टफोन का उपयोग आधी रात को ज्यादा करते हैं और लंबी-लंबी बातें करते हैं। इस सोशल मीडिया की लाइफ ने इस तरह के लोगों को मोबाइल का मुरीद बना दिया है।    मोबाइल के ज्यादा उपयोग से जहां लोगों में डिप्रेशन की बीमारियां बढ़ रही है ,वहीं सामाजिक जीवन बर्बाद होता दिख रहा है। पति-पत्नी के संबंधों में दरार आ रही है तो  तलाक के मामले भी बढ़ रहे हैं। लोग मोबाइल फोन पर ईमेल ,फेस बुक,वाट्सएप, ,यूट्यूब,ट्विटर (एक्स),टेलीग्राम और वेब सीरीज चलाते हैं। यही इस समस्या की सबसे बड़ी जड़ है,जिन्हें यू ट्यूब या वेब सीरीज की लत लग जाती है,वे हर समय इसी में लगे रहते हैं। स्कूली बच्चों द्वारा खुलेआम स्मार्टफोन का प्रयोग उनकी पढ़ाई पर कुप्रभाव डालने लगा है और बच्चे बुरी आदतों का शिकार हो रहे हैं। 


फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट सभा का कहना है कि महंगे मोबाइल खरीदना अमीरों का फैशन बन चुका है।  महंगा स्मार्टफोन आज स्टेटस सिंबल बन गया है। वही प्रसिद्ध समाजसेवी अशोक हांडा का कहना है कि बच्चों के हाथ में स्मार्टफोन अच्छे नहीं लगते, बच्चों के अभिभावकों को चाहिए कि वह बच्चों को स्मार्टफोन से मुक्त रखें। यदि बच्चों को स्मार्ट फोन का उपयोग करना है तो उसे अपनी देखरेख में करवाया जाना चाहिए ताकि बच्चों की गतिविधियों का माता पिता को ज्ञान हो । पेरेंट्स को अपने बच्चों को स्मार्टफोन खरीद कर नहीं देने चाहिए।



ऑस्ट्रेलिया में बच्चों को इंटरनेट मीडिया से दूर रखने  का बिल पास कर दिया गया है, ऑस्ट्रेलिया के संचार मंत्री ने कहा है कि इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म ,टिकटॉक, फेसबुक, स्नैपचैट , रेडिट,एक्स और इंस्टाग्राम पर रोक लगा दी गई है। ऑस्ट्रेलिया में 18 वर्ष के कम के बच्चों को ऑनलाइन पोर्न कंटेंट तक पहुंचने से रोकने के तरीकों की भी तलाश की जा रही है। ऑस्ट्रेलिया ऐसा प्रथम देश बन गया है जिन्होंने बच्चों को इंटरनेट  से दूर रखने के लिए सख्त कदम उठाया है ,भारत सरकार को भी ऐसे सख्त कदम उठाने चाहिए। सुभाष आनंद



No comments:

Post a Comment

GET THE FASTEST NEWS AROUND YOU

-ADVERTISEMENT-

NewsLite - Magazine & News Blogger Template