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Bhopal. हिंदू धर्म में गौ- वंश की महत्ता , Importance of cow lineage in Hindu religion


Upgrade Jharkhand News.  गौ वंश को हमारे धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। गौ, गऊ, गैय्या, गाय, नंदी, बैल आदि के रूप में गौ वंश हमारे जीवन में अटूट स्थान रखता है। हमारे धर्मग्रंथों में कामधेनु के रूप में गाय को सर्वदायिनी मां के रूप में वर्णित किया है। गाय का सर्वदायिनी स्वरूप आज भी विद्यमान है। सदियों से आज तक बालक , रुग्ण सहित समस्त जन पग - पग पर गाय के दूध  पर निर्भर हैं। गाय के दूध से दही,पनीर,खोआ,घी और हजारों तरह के मिष्ठान्न और स्वादिष्ट व्यंजन प्राप्त होते हैं। इनके बिना हमारा जीवन,जीवन नहीं नीरसता रह जाती है। 



गाय का गोबर भी  बहुत शुभ माना जाता है। गोवर्धन के रूप में इसकी पूजा होती है। कार्यों में गोबर से घर - आंगन को लीपा जाता है। आज भी गांवों में यह विधान चलता है। हवन व ईंधन के रूप में गाय के गोबर के उपलों का प्रयोग बड़ी मात्रा में होता है। गौ - मूत्र को औषधीय गुण संपन्न कहा गया है। हमारे यहां गौ दान को बहुत बड़ा दान माना जाता है। सांड की पीठ के उभार को शिवलिंग के रूप में भी देखा जाता है। सांडों को नंदी भगवान का रूप माना जाता है। नंदी भगवान शिव जी के वाहन व सेवक भी हैं। हमारे यहां बैलों के माध्यम से खेतों का काम भी चलता है। बैलगाड़ी में बैलों को ही लगाया जाता है। बैल मनुष्य से भी कहीं ज्यादा श्रम देने वाला प्राणी होता है। 



गौ वंश के बारे में यह कहना भी कोई अतिश्योक्ति नहीं कि इसके अंदर अनुभूति की अद्भुत क्षमता होती है, चूंकि गाय चौपाया है , इसलिए उसे हर कोई अपने वश में कर लेता है , मगर उसकी आंखों में झांकने पर पता चलता है प्रेम व दर्द को वह किस तरह प्रकट कर सकता है।  गाय की रक्षा और संरक्षण की आज  बहुत आवश्यकता है। अगर ईश्वर ने सुविधाएं दी हैं तो हमें एक गाय जरूर पालनी चाहिए। व्यक्तिगत व सामूहिक रूप से गौशालाएं बनाई जानी चाहिए। वहां गायों की सेवा - सुश्रुषा की जानी चाहिए। गाय को  गौ माता के रूप में हर्षोल्लास के साथ पूजा जाना चाहिए। 



गाय को जूठा नहीं खिलाना चाहिए। गाय को सुबह के समय एक रोटी जरूर खिलानी चाहिए। गाय एक ऐसी देवी है , जो एक दिन प्रेम मिलने पर खुद ब खुद प्रसाद ग्रहण करने के लिए चली आती है। ठीक समय पर। गाय के बारे में एक सत्य कथा मुझे याद आ रही है। एक बस का ड्राइवर गलती से एक बछड़े को धक्का मार देता है। बछड़ा मर जाता है। मां गाय इतनी दुखी व क्षुब्ध हो जाती है कि हर रोज ठीक समय पर रोड पर पहुंचकर बस को रोक लेती थी । यात्रियों के काफी प्रयास के बाद रास्ता देती थी। दुखी ड्राइवर एक दिन अपने घर पर मृत बछड़े की आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान करता है , क्षमा मांगता है। इसके बाद सब कुछ सामान्य हो जाता है इसलिए गाय को दुखी नहीं करना चाहिए। आर . सूर्य कुमारी



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