Default Image

Months format

Show More Text

Load More

Related Posts Widget

Article Navigation

Contact Us Form

Terhubung

NewsLite - Magazine & News Blogger Template
NewsLite - Magazine & News Blogger Template

Bhopal. महामुनि,महायोगी,महाज्ञानी आचार्य श्री विद्यासागर जी, Mahamuni, Mahayogi, Mahagyani Acharya Shri Vidyasagar ji


Upgrade Jharkhand News. - विश्व के महानतम संत,परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का तपस्वी और संयमित जीवन चरित्र,महामुनि,महामौनी,महाध्यानी, महान क्षमांकर,महाशील आदि भगवत गुणों से परिपूर्ण रहा है। उनके बारे में कहा जाता है कि-

*महामुनिर्महामौनी,महाध्यानी महादम: ।*

महाक्षमो महाशीलो,महायज्ञो महामख: ॥

आचार्य श्री का जन्म 10अक्टूबर 1946 को कर्नाटक राज्य के बेलगाँव जिले के सदलगा में शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। उनके बचपन का नाम विद्याधर था। घर में सभी उन्हें पीलू नाम से पुकारते थे।उनके पिता श्री मल्लप्पा अष्टगे और माता का नाम श्रीमती अष्टगे था। आचार्य विद्यासागर महाराज को 30 जून 1968 में अजमेर में 22 वर्ष की आयु में उनके गुरु आचार्य ज्ञानसागर महाराज ने मुनि दीक्षा प्रदान की। आचार्य विद्यासागर महाराज को 22 नवम्बर 1972 में उनके गुरु आचार्य ज्ञानसागर महाराज द्वारा आचार्य पद प्रदान किया गया।आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने 500 से अधिक मुनि, आर्यिका, ऐलक, क्षुल्लक दीक्षाएं दीं। उनके घर के सभी सदस्यों ने सन्यास धारण कर वीतराग पथ अपनाया है।



आचार्य विद्यासागर महाराज संस्कृत, प्राकृत,हिन्दी, मराठी, कन्नड़,अंग्रेजी,बंगाली भाषाओं में पारंगत रहे हैं। उनकी मातृभाषा कन्नड़ थी।उन्होंने हिन्दी और संस्कृत भाषा में अनेक रचनाएँ की हैं। सैकड़ों शोधार्थियों द्वारा उनके जीवन चरित्र और कृतित्व पर मास्टर्स और डॉक्ट्रेट उपाधि प्राप्त करने के लिए अध्ययन किया है। उन्होंने महान काव्य मूकमाटी  की रचना की है। मूकमाटी रूपक कथा-काव्य, अध्यात्म, दर्शन व युग-चेतना का संगम है। संस्कृति, जन और भूमि की महत्ता को स्थापित करते हुए आचार्यश्री ने इस महाकाव्य के माध्यम से राष्ट्रीय अस्मिता को पुनर्जीवित करने का दिव्य कार्य किया है। विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में यह स्नातकोत्तर उपाधि के हिन्दी पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है। उनकी रचनाओं में निरंजना शतक, भावना शतक, परीषह जया शतक, सुनीति शतक और श्रमण शतक  आदि सम्मिलित हैं।उनकी सिंह नाम की कविता को कई शैक्षणिक संस्थानों ने अपने पाठ्यक्रम में भी शामिल किया गया है। उन्होंने नर्मदा का नरम कंकर, तुम डूबों मत लगाओ डुबकी, तोता क्यों रोता, शारदा स्तुति आदि कई पुस्तकें लिखी हैं।



आदर्श समाज सुधारक - आचार्य विद्यासागर जी ने अपने जीवनकाल के दौरान अनेक सामाजिक प्रकल्पों को संचालित करने के लिए समाज को प्रेरित किया। गौ रक्षा एवं गौ सेवा के लिए गौशाला की स्थापना पर बल दिया ।उनके आह्वान एवं दिव्य मार्गदर्शन से अनेक राज्यों के अनेक स्थानों पर गौमाता की सेवा अनेक गौशालाओं के माध्यम से हो रही है। गौ उत्पाद एवं आयुर्वेदिक औषधियों का प्रसंस्करण एवं विक्रय किया जा रहा है। जीवदया के अनेक प्रकल्प संचालित हैं। मातृभाषा हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करने का आह्वान वह सदैव करते रहे। बालिका शिक्षा पर विशेष बल देते हुए अनेक स्थानों पर उच्चकोटि के शिक्षण संस्थानों का कुशल संचालन किया जा रहा है।भारतीय लोक सेवा आयोग, राज्य लोक सेवा आयोग एवं अन्य प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में प्रतियोगियों को सफल होने के लिए प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित हैं। भोपाल में अनुशासन संस्था यह कार्य कुशलता पूर्वक निष्पादित कर रही है।



स्वदेशी को प्रोत्साहित कर अनेक स्थानों  पर हथकरघा केंद्र स्थापित किए गए हैं।रोजगार सृजित हो रहा है।उद्यमिता को भी प्रोत्साहित किया है।श्रमदान ब्रांड नाम से अनेक स्थानों पर वस्त्र विक्रय केंद्र संचालित हैं। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जीवन पर्यंत सदैव देश को इंडिया नहीं भारत बोलो पर जोर देते रहे।वर्तमान में प्रयागराज में महाकुंभ में भी शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आचार्य विद्या सागर महाराज के दिव्य संकल्प पर विमर्श सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन में ख्यातिलब्ध विद्वान सम्मिलित हो रहे हैं। आचार्य विद्यासागर महाराज ने सदैव आह्वान किया कि जैन समाज के संपन्न लोग,दो गरीब बच्चों को गोद लेकर उन्हें पढ़ाएं।उन्होंने बल दिया कि पर्यावरण की सुरक्षा प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है। विश्व को उनका तपस्वी जीवन पर्यावरण में शून्य कार्बन उत्सर्जन की प्रेरणा देता है। उनका जीवन जीरो कार्बन फुट प्रिंट की अमिट छाप छोड़ता है।उनका आह्वान रहा कि दूसरों की भलाई के लिए सुखों का त्याग ही सच्ची सेवा है। उन्होंने समाज को सीख दी कि जीवन म दो सूत्रों अहिंसा, जियो और जीने दो का अवश्य पालन करो।



आचार्य विद्यासागर महाराज की समाधि माघ शुक्ल अष्टमी को डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) के चन्द्रगिरि पर्वत पर हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आचार्य विद्या सागर महाराज से अत्यंत प्रभावित हैं। उनसे समय-समय पर मार्गदर्शन,आशीर्वाद प्राप्त करते थे।उन्होंने आचार्य विद्यासागर महाराज के विराट, महासागर रूपी व्यक्तित्व पर आलेख के माध्यम से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की थी। मुझे स्मरण है कि भाजपा के राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गला रुंध गया था।आचार्य विद्यासागर महाराज विश्व के महान संत हैं। महानतम समाज सुधारक हैं। उनका सकल जीवन चरित्र अखिल विश्व की मानव समाज के लिए अनुकरणीय है। सत्येंद्र जैन



No comments:

Post a Comment

GET THE FASTEST NEWS AROUND YOU

-ADVERTISEMENT-

NewsLite - Magazine & News Blogger Template