Jamshedpur (Nagendra) । झारखण्ड सद्भावना समिति के तत्वावधान में एक शाम गाँधी के नाम कार्यक्रम का आयोजन गुरुवार को संध्या समय माईकल जाॅन प्रेक्षागृह बिष्टुपुर में आयोजित हुआ। सर्वप्रथम मंच पर संस्था के अध्यक्ष महेन्द्र मिश्र, कार्यवाहक अध्यक्ष रामाश्रय सिंह, उपाध्यक्ष राजकुमार सिंह, महासचिव उदय कुमार सिंह, मुख्य अतिथि राकेश्वर पाण्डेय, शिक्षाविद् प्रोफेसर करीम सिटी काॅलेज डाॅ संध्या सिन्हा विशिष्ट अतिथि, आनन्द बिहारी दुबे जिलाध्यक्ष, गुरमीत सिंह तोते अध्यक्ष टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन, आर के सिंह महासचिव, समाजसेवी शिवशंकर सिंह, शंभूनाथ सिंह, कन्हैया सिंह, पार्षद डाॅ कविता परमार, चिकित्सक डाॅ फतेह बहादुर सिंह, मजदूर नेता रघुनाथ पाण्डेय ने संयुक्त रूप से द्विप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
सभी अतिथिगणों नें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, संविधान निर्माता डाॅ भीमराव अंबेडकर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित किया। सभा को संबोधित करते हुए शिक्षाविद् प्रोफेसर करीमसिटी काॅलेज डाॅ संध्या सिन्हा ने कहा कि गाँधी के पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ।आज हम सभी देश के नागरिकों को सोचना होगा। शहीदों के चिताओं पर हर वर्ष लगेंगे मेले गाँधी को मारा नही जा सकता है, गाँधी जी आज भी जिंदा है, हमारा संविधान हमें सब कुछ दे रहा है और अंबेडकर का संविधान का प्रासंगिकता आज भी है। अंबेडकर भारत के संविधान निर्माता के रूप में जाने जाते हैं, गांधी जी देश के राष्ट्रपिता के नाम से जाने जाते हैं, गाँधी के विचारों से न सिर्फ भारतवासी बल्कि पूरे दुनिया के लोग प्रभावित थे।
महात्मा गांधी ने उन लोगों की आवाजों को उठाया जो मुखधारा से जुड़े नहीं थे, बंधुत्व पूर्ण देश, समता मूलक देश देश बनाना चाहते थे, गाॅधी ने दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय भेद की दंश को नजदीक से देखा, महात्मा गांधी ने निर्भीक होकर सभी को सत्य के लिए आगे लाना चाहते थे और शांति, 21वीं सदी में गांधीवादी विचारों का और जीवन दर्शन का हम अपने अंदर प्रयोग करते हैं, कैसे अपनी समस्याओं को और अपने जटिलताओं को हल करने के लिए प्रयोग करते हैं। इस पर बड़ी चर्चा होने की जरूरत है। 30 जनवरी 1948 का वह दिन था जो देश के लिए राष्ट्रपिता का रूप रखने वाले गांधी शहीद हो गए। डॉ भीमराव अंबेडकर के अपने राजनीतिक, सामाजिक स्थितियां अलग थी, विचार और सिद्धांत देशहित में है। बाबा साहेब अंबेडकर कोलंबिया से पढ़कर आए थे। जब वे भारत लौटे तो उनके सामने दलित और अस्पृश्यता का बहुत बड़ा विषय सामने था।
डॉ आंबेडकर एक समाज सुधारक थे और दलित समाज को शिक्षित कर समाज सुधारना करना चाहते थे, वह चाहते थे कि भारत के लोगों को वे सबसे ऊपर रखेंगे और चाहते थे कि यह देश प्रत्येक व्यक्ति का देश हो यह भी चाहते थे कि सामाजिक लोकतंत्र सर्वोपरि होना चाहिए, महात्मा गांधी चाहते थे पंचायतों को अधिकार मिले और अंबेडकर जी चाहते थे कि संविधान का नियंत्रण सभी जगह हो। महात्मा गांधी जी एवं डॉक्टर अंबेडकर जी चाहते थे कि छुआछूत की भावना ना हो, समता मूलक समाज का निर्माण हो, न्याय क्षमता, भाईचारा, स्वतंत्रता बना रहना चाहिए। संविधान हमारा देश का ग्रंथ है। झारखण्ड सद्भावना समिति के तत्वावधान में सामाजिक कार्यों के लिए महात्मा गाँधी विचार सम्मान से सम्मानित किया गया।
सम्मानित हेतू सदस्यों का सूची : ब्रजेन्द्र कुमार तिवारी, संजय सिंह आजाद, अपर्णा गुहा, शफी अहमद खान , सुखदेव सिंह मल्ली, अवधेश सिंह, अंसार खान, रीता शर्मा, रानी राव, गुलाम सरवर, मुसाबनी, मनोज उपाध्याय, अशोक सिंह क्रांतिकारी, योगेन्द्र सिंह यादव, अरूण कुमार सिंह, जोसाई मार्डी, रंजीत राम, जादुगोडा, पद्मिनी हाँसदा, शाहनवाज खान, अतुल गुप्ता, राजेश कुमार, संजय घोष, धर्मा राव, संध्या ठाकुर, अमरजीत नाथ मिश्र भारतयात्री, के के शुक्ल।
सहित पत्रकार अरविंद बिद्रोही, प्रमोद झा, जिया सिंह, मनमन पाण्डेय, प्रभाकर राव, मिताली दास गुप्ता, हिमांशु शेखर, कृष्णकांत राय को सम्मानित किया गया। वहीं कार्यक्रम को सफल बनाने में रियाजुद्दीन खान, हरिशंकर सिंह, शशि कुमार सिन्हा, अमित श्रीवास्तव सहित का सराहनीय योगदान रहा।
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