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Bhopal. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर नववर्ष के नव संकल्प, New resolutions for the new year on Chaitra Shukla Pratipada


Upgrade Jharkhand News. भारतीय कालगणना के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को विक्रमी संवत 2082 प्रारंभ हो रहा है ।आंग्ल तिथि के अनुसार 30 मार्च रविवार का यह दिन है । भारतीय स्वाभिमान के प्रतीक अनेक ऐतिहासिक प्रसंग चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ जुड़ें है । पृथ्वी की उत्पत्ति के कारण पृथ्वी संवत, सृष्टि प्रारंभ दिवस के कारण सृष्टि संवत, श्रीराम जी का राज्याभिषेक, कलयुग संवत,युधिष्टिर संवत, विक्रम संवत (2082), शालिवाहनशकसंवत (1947),युगाब्द(5127),मालव संवत, गुडी पड़वा, आर्य समाज स्थापना, उगादि, गुरु अंगद देव का जन्म दिवस एवं झूलेलाल जी का अवतरण दिवस आदि सभी प्रेरणा दिवस इस शुभ दिन के साथ जुड़े है। शक्ति की उपासना के प्रतीक नवदुर्गा का प्रारंभ एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ०केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म भी वर्षप्रतिपदा ही है। 



भारतीय स्वाभिमान के प्रतीक जीवन की समस्त विधाओं में भारत की अग्रगणीयता, आर्थिक समृद्धि,प्रकृति में वसंत अर्थात सम्यक परिवर्तन की दिशा का संदेश संपूर्ण मानवता को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा देती आई  है । भारतीय समाज में व्यैक्तिक एवं सामूहिक जीवन में उत्थान के लिए नव वर्ष पर नव संकल्प लेने की परंपरा है।इस विक्रम संवत के आगमन पर हम हर्ष एवं उल्लास के साथ नव वर्ष का स्वागत करें एवं भावी समाज को संरक्षित करने की दिशा में नवसंकल्प लें। शारीरिक :- "शरीरमाध्यम्खलु धर्म साधनम्"(अर्थात धर्म के साधन का मार्ग स्वस्थ शरीर ही है) भारत में असावधानी के कारण हमारा खानपान स्थूल(मोटापा) शरीर का निर्माण कर रहा है । जिसके कारण अनेक रोग हमारे शरीर को अपना घर बना रहे हैं ।दुनिया के देशों की तुलना में हमारे देश में गंभीर रोगों का औसत अधिक है । प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए “फिट इंडिया” का संदेश दिया था ।नव वर्ष पर यदि हम अपनी प्रतिदिन की दिनचर्या में संतुलित आहार, व्यायाम एवं योग को स्थान देंगे तब हमारा स्वास्थ्यअच्छा होगा। हमारा स्वास्थ्य ही राष्ट्र के स्वास्थ्य से जुड़ा है । इसको हम प्रतिदिन का संकल्प बनाएं। 


पारिवारिक -भारतीय समाज के चिरंजीवी होने के अनेक कारणों में से महत्वपूर्ण है हमारी पारिवारिक व्यवस्था। संपूर्ण विश्व इस पारिवारिक व्यवस्था का अध्ययन एवं अनुपालन करने का प्रयास कर रहा है । परिवार के सभी सदस्यों में सामूहिकता, सुरक्षा, परस्पर प्रेम और आत्मीयता का अंकुरण होता है । परिवार टूटने के कारण ही दुनिया के देश अपने बजट का बड़ा भाग सामाजिक सुरक्षा पर खर्च कर रहे हैं ।भारत में दुनिया की तुलना में यह न्यून है। हम अपने परिवार के वृद्धों को सम्मान एवं आत्मीयता दें । इसका परिणाम होगा कि नवीन पीढ़ी में भी यह संस्कार आएगा । परिवार के सदस्य सामूहिक भोजन,  सामूहिक भजन एवं वर्ष में एक-दो बार विशेष प्रसंगों पर वृहद् परिवार मिलन कर पारिवारिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने का संकल्प लें ।


भाषा सीखे -विशाल भूभाग वाले अपने देश में अनेक भाषाओं एवं बोलियों का उपयोग होता है | सभी भाषाओं में एक अन्तर्निहित एकात्मता है | हम अपनी मातृभाषा के साथ-साथ एक और दूसरे प्रदेश की भाषा सीखने का प्रयास करें । जिसके कारण हम उस भाषा के साहित्य में छिपे तत्वज्ञान,महापुरुषों एवं परंपराओं को समझ सकेंगे, एवं राष्ट्र की एकात्मता वृद्धि में सहयोगी बन सकेंगे ।


नागरिक अनुशासन - देश के संविधान के प्रति आदर एवं श्रद्धा भाव, देश को सुचारू संचालित करने के लिए बनी व्यवस्थाओं का अनुपालन, देश की सम्पत्तियों का संरक्षण, नियमों का पालन,शुचिता पूर्ण कर्तव्य निष्ठ व्यवहार करने से देश में अनुशासन का भाव निर्माण होगा । यह अनुशासन ही किसी भी देश की महानता की गारंटी है । अभावग्रस्त समाज के लोगों को शिक्षा,भोजन,कार्य कुशलता निर्माण कर सेवा के माध्यम से समृद्ध करें। अपने चारों तरफ होने वाली घटनाओं के प्रति सजग रहते हुए समाज में सुरक्षितता का वातावरण बनाएं। नए-नए प्रयोगों के द्वारा रोज़गार प्रदान करते हुए भारत को आर्थिक समृद्ध कर, विकसित भारत के संकल्प की पूर्ति में सहायक होना हमारा संकल्प बने ।


संयमित एवं सादगी पूर्ण जीवन शैली -पंडित दीन दयाल उपाध्याय द्वारा स्थापित सिद्धांत “खर्च में संयम एवं उत्पादन में वृद्धि हम सभी के लिए मार्गदर्शक है ।”आय से अधिक खर्च किसी भी समाज में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है । समाज में एक दूसरे को देखकर अधिक खर्च की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है | शादी-विवाह  एवं शुभ प्रसंगों के समय बर्बाद होता भोजन यह राष्ट्र की संपत्ति का ही नुकसान है । यह दृष्टि लेकर व्यक्तिगत जीवन में सादगी एवं संयम पूर्ण व्यवहार से समाज को सम्यक दिशा दें | प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र  मोदी  ने भी अन्न की बर्बादी के संबंध में सम्पूर्ण देश को सचेत किया था।


महिला सशक्तिकरण -हमारे प्राचीन धर्म ग्रंथो में माँ (स्त्री) का बड़ा श्रेष्ठ स्थान (यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ) था । कालांतर में समाज में अनेक कुप्रथाए आई । आज भी समाज में हृदय को विदीर्ण करने वाली अनेक घटनाएं होती रहती है । महिला हिंसा एवं दुर्व्यवहार को समाप्त करें। समाज में महिलाओं को समान स्थान,समान अवसर, निर्णयों में समान सहभागिता का वातावरण बनाने में हम सभी सहभागी बने।


पर्यावरण संरक्षण -महात्मा गाँधी जी का प्रसिद्ध वाक्य ““The Earth has enough resources for our need but not for our greed.”भोगवादी जीवन शैली एवं प्रकृति के संसाधनों पर कब्जे की मनोवृति के कारण हमने पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ की है । जिसका परिणाम है प्रदूषण एवं तापमान में वृद्धि। अनेक विद्वानों एवं पर्यावरण केंद्रित संस्थाओं के आकड़े हमें चिंतित करने वाले है। मनुष्य का जीवन भविष्य में सुरक्षित रहेगा अथवा नहीं यह सभी की चिंता का विषय है। हम इस नव वर्ष पर अपना जीवन पर्यावरण को संरक्षित करनेवाला बनाएं, एवं जल, भोजन, वायु, वनस्पति सभी शुद्ध रहे इसका संकल्प लें।


संस्कृति स्वाभिमान -हमारी संस्कृति त्यागमयी एवं सभी के कल्याण का विचार करने वाली है। इस कारण विश्व शांति की गारंटी भारतीय संस्कृति ही है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा हमको इस सांस्कृतिक गौरव का ही स्मरण कराती है। हम स्वयं एवं आने वाली पीढ़ी में अपने महापुरुषों, अपनी परंपराओं के प्रति यह गौरव के भाव को जागृत करने का संकल्प लें। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के उत्सव को व्यक्तिगत के साथ-साथ समाज का उत्सव बनाते हुए, हम अपने व्यक्तिगत जीवन एवं समाज जीवन में यह संकल्प ले तब नव वर्ष की सार्थकता सिद्ध होगी। शिवप्रकाश



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