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Bhopal. आखिर क्यों हुआ पहलगाम पर आतंकी हमला, Why did the terrorist attack happen on Pahalgam?


Upgrade Jharkhand News.  एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित करने के सरकारी दावों को पलीता लगाते हुए पाकिस्तान समर्थित चरमपंथी आतंकियों ने 28 बेगुनाह पर्यटकों की हत्या को अंजाम देकर समूचे देश को झकझोर दिया है। लंबे समय बाद जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बड़ा आतंकी हमला हुआ है, 28 से ज्यादा पर्यटकों की मौत की आशंका है। इस हमले को तीन आतंकियों ने अंजाम दिया है जिनके तार टीआरपीएफ से जुड़े हुए है। इस संगठन को लश्कर का ही प्रॉक्सी बताया जाता है। शुरुआती जानकारी के मुताबिक दहशतगर्दों ने 50 राउंड फायरिंग की थी, कुछ रिपोर्ट्स में यहां तक दावा हुआ है कि लोगों से उनका मजहब पूछकर मारा गया। जाहिर है सदियां बदली,तारीखें बदली,लेकिन इक्कीसवीं सदी में भी कुछ जनूनी,चरमपंथी बर्बर मानसिकता नहीं बदली जो कभी हमास कभी तालिबान तो कभी लश्कर ए तैयबा का मुखौटा लगा कर बेगुनाहों का मजहब पूछ कर खून की होली खेलते हैं। जरूरत इस बर्बर मानसिकता के इलाज की है।



आपको बता दें कि आतंकियों ने पहलगाम जैसे टूरिस्ट स्पॉट को ही हमले के लिए क्यों चुना? इसके पीछे एक बड़ी वजह आने वाले दिनों में शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा के श्रद्धालुओं में दहशत फैला कर यात्रा में बाधा उत्पन्न करना है। दूसरी वजह अमेरिकी उपराष्ट्रपति के भारत दौरे के दौरान इस तरह की खूनी वारदात कर कश्मीर के मुद्दे को विश्वमंच पर जिंदा रखने की पाकिस्तान की साजिश है। जानकार बताते हैं कि जम्मू-कश्मीर का पहलगाम इलाका जंगलों से घिरा हुआ है, यह काफी ऊंचाई पर स्थित है। अब वैसे तो पूरे जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों की भारी तैनाती दिखती है, लेकिन पहलगाम एक ऐसी जगह है जहां दूसरे क्षेत्रों की तुलना में कम सिक्योरिटी रहती है। इससे पहले पहलगाम में क्योंकि कभी ऐसा हमला भी नहीं हुआ, ऐसे में ज्यादा फोर्स नहीं देखी गई। पहलगाम आए पर्यटक खुद बता रहे हैं कि जब हमला हुआ, कोई फोर्स उस समय वहां नहीं थी, लोग ही एक दूसरे की भागने में मदद कर रहे थे।



जाहिर है कि सरकार कुछ भी दावा करे लेकिन सुरक्षा में भारी कोताही और सजगता में चूक ही इस आतंकी हमले के पीछे एक बड़ी वजह बनी है। दरअसल लंबे समय से आतंकवाद पर नियंत्रण के बाद कहीं न कहीं सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता में थोड़ी ढील हुई और आतंकी इसी का फायदा उठाकर हिन्दू पर्यटकों के साथ खून की होली खेलने में कामयाब हो गए। कई रिपोर्ट्स बता रही हैं कि इस आतंकी हमले के एक घंटे बाद सुरक्षाबल वहां आने शुरू हुए, इलाके को कंट्रोल में लिया गया। लेकिन आतंकियों को इस पूरे इलाके की  जानकारी थी, उन्हें भी पता था कि यहां दूसरे क्षेत्रों की तुलना में सुरक्षा कम है। पहलगाम के जिस इलाके में हमला हुआ है, वहां पर वाहन भी नहीं जाते हैं, पर्यटक खच्चर के जरिए ही वहां तक पहुंचते हैं, इसे ट्रैक वाला इलाका माना जाता है। ये सारी जानकारी भी इन दहशतगर्दों को पहले से थी। माना जा रहा है कि इसी वजह से टूरिस्ट सीजन में पहलगाम को निशाना बनाया गया। वहीं यह इलाका क्योंकि जंगलों से घिरा हुआ है, ऐसे में आतंकी वहां से आए और वहीं से भाग भी गए। अभी के लिए पूरे इलाके में बड़े स्तर पर सर्च ऑपरेशन चल रहा है, एनआईए भी वहां पहुंच चुकी है।



पहलगाम को निशाना बनाने का एक बड़ा कारण यह भी है कि अमरनाथ यात्रा के रूट में यह क्षेत्र पड़ता है। अमरनाथ जाने के दो रास्ते रहते हैं, एक रास्ता पहलगाम से होते हुए जाता है। ऐसे में आतंकी हमला कर ना सिर्फ पर्यटकों के मन में डर पैदा करने की कोशिश हुई है बल्कि सरकार को भी सीधी चुनौती दे दी गई है। समझने वाली बात यह भी है कि जम्मू-कश्मीर की सबसे ज्यादा आय पर्यटन के जरिए होती है, जितने अधिक टूरिस्ट घाटी में आते हैं, उतना ही जम्मू-कश्मीर का विकास भी होता है। लेकिन कश्मीरियों और कश्मीर का विकास इन आतंकियों की सबसे बड़ी हार है, ऐसे में उसे खत्म करने के लिए ऐसे कायराना हमले पहले भी किए जा चुके हैं। जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों पर हुआ ये अब तक का सबसे बड़ा हमला है। इससे पहले भी घाटी में टूरिस्ट्स को निशाना बनाकर भय का माहौल बनाने की कोशिश हुई है। हमले के बाद फरार हुए आतंकियों को मार गिराने के लिए सुरक्षा बलों ने भी बड़ा अभियान छेड़ दिया है। कश्मीर में यह हमला उस समय हुआ, जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर आए हैं।



साल 2000 से अब तक जम्मू-कश्मीर में आतंकी कई बार पर्यटकों, श्रद्धालुओं और स्थानीय को अपना निशाना बना चुके हैं। आतंकवादियों ने 21 मार्च की रात को अनंतनाग जिले के छत्तीसिंहपोरा गांव में अल्पसंख्यक सिख समुदाय को निशाना बनाया, जिसमें 36 लोग मारे गए। अगस्त 2000 में नुन्वान बेस कैंप पर हुए आतंकी हमले में दो दर्जन अमरनाथ तीर्थयात्रियों सहित 32 लोग मारे गए। जुलाई 2001 में 13 लोग मारे गए। अनंतनाग के शेषनाग बेस कैंप पर हुए इस आतंकी हमले में अमरनाथ यात्रियों को फिर से निशाना बनाया गया, जिसमें 13 लोग मारे गए। एक अक्टूबर 2001 को श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर राज्य विधानमंडल परिसर पर आत्मघाती (फिदायीन) आतंकी हमला हुआ, जिसमें 36 लोग मारे गए। 2002 में चंदनवाड़ी बेस कैंप पर आतंकी हमला हुआ और 11 अमरनाथ यात्री मारे गए। 23 नवंबर, 2002 को जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर दक्षिण कश्मीर के लोअर मुंडा में एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) विस्फोट में नौ सुरक्षा बल कर्मियों, तीन महिलाओं और दो बच्चों सहित उन्नीस लोगों की जान चली गई। 23 मार्च 2003 को आतंकवादियों ने पुलवामा जिले के नंदी मार्ग गांव में 11 महिलाओं और दो बच्चों सहित  कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी। 13 जून को पुलवामा में एक सरकारी स्कूल के सामने भीड़भाड़ वाले बाजार में विस्फोटकों से लदी एक कार में विस्फोट होने से दो स्कूली बच्चों और तीन सीआरपीएफ अधिकारियों सहित तेरह नागरिक मारे गए और 100 से अधिक लोग घायल हो गए। 12 जून 2006  को कुलगाम में नौ नेपाली और बिहारी मजदूर मारे गए। 10 जुलाई 2017  को कुलगाम में अमरनाथ यात्रियों की बस पर हमला हुआ ,जिसमें 8 की मौत हो गई थी।



बहरहाल इस बेहद बर्बरता व कायरता भरे आतंकी हमले में जिस तरह आंतकियों ने पर्यटकों से उनका धर्म पूछा मजहबी आयत बोलने के लिए कहा और नहीं बोलने पर गोलियों से भून दिया यह समूचे विश्व में कथित शांति का पैगाम देने वाले मजहब पर भी गहरा बदनुमा दाग लगाता है। जरूरत इस बात की है कि ऐसे बर्बर क्रूर शैतानों को जल्द से जल्द उनके कृत्य का सबक सिखाया जाए और सरकार ऐसा सबक सिखाए कि आतंकियों की सात पुश्तें भी भविष्य में ऐसी घिनौनी अमानवीय हरकत को दोहराने की हिम्मत न कर सके। जरूरत इस बात की भी है कि दुनिया भर का इस्लामी नेतृत्व आतंकियों की इस बेहद शर्मनाक बर्बर और अमानवीयता भरी क्रूरता की खुले मंच पर निंदा करे।  मनोज कुमार अग्रवाल



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